जागरण संवाददाता, पानीपत : शिक्षक फर्ज को कड़ी मेहनत से अंजाम दें। जीवन
में कुछ देना सीखो। मांटेसरी टीचर बच्चे की बुनियाद रखते हैं। लेकिन भारत
विश्व का ऐसा देश है जहां प्राइमरी शिक्षक का वेतन सबसे निचले स्तर पर है।
डाइट परिसर में शुक्रवार को आयोजित दीक्षांत समारोह में यह बात शिक्षाविद्
डॉ. आरके मल्होत्रा ने कही।
उन्होंने कहा कि शिक्षक तीन प्रकार के होते हैं। प्रथम.जहां हैं वहां फिट नहीं हैं, टीचिंग के काबिल नहीं हैं। द्वितीय.मैकेनिकल ट्रांसमीटर उनके पास अपना कुछ नहीं है, रात को कुंजी का अध्ययन कर बच्चों को पढ़ाते हैं। लेकिन वह पहले कैटेगरी से बेहतर हैं। तीसरा.रीयल सेंस टीचर जो समाज में वास्तविक शिक्षक का रोल निभाते हैं। जीवन में कुछ देना सीखो। जब यह सीख लेंगे तो धरती पर कोई तकलीफ नहीं होगी। हक नहीं छोड़ें। लेकिन इस बात पर जरूर गौर करें कि समाज को दे ज्यादा रहे हैं या स्वयं ले ज्यादा रहे हैं। मशहूर शायर हाली का यह कहना कि फरिश्तों से बेहतर है इंसान बनना.लेकिन इसमें मेहनत ज्यादा पड़ती है। साहित्य समाज का दर्पण होता है।
डीईओ जय भगवान खटक ने कहा कि शिक्षण का कार्य आसान नहीं है। समर्पण, आस्थावान व केंद्रित होकर कार्य करेंगे तभी सफलता मिलेगी। स्कूलों में ऐसा देखने में आता है कि अध्यापक शिक्षण कार्य छोड़कर फोन पर बातें करने में मशगूल होते हैं। कक्षा सफर कर जाती है। पढ़ाने में कंफिडेंस होना चाहिए। विषय पर कमांड होना भी जरूरी है। शिक्षक जिन्हें पढ़ाते वो समाज का दर्पण होता है। दर्पण साफ सुथरा होगा तो प्रतिबिंब भी साफ होगा। आरके चानना व लक्ष्मी नारायण मौजूद थे।
87 विद्यार्थियों को डिप्लोमा
डाइट में 2012-14 बैच के 87 विद्यार्थियों को डिप्लोमा दिया गया। पांच विद्यार्थी अनुपस्थित रहे। मुख्य अतिथि आरके मल्होत्रा, डीईओ जय भगवान खटक, सुरेश ढींगड़ा, राज खुराना व नीलम गुलाटी ने विद्यार्थियों को डिप्लोमा दिया।
पटका उल्टा पहना
जब डिप्लोमा बंटने लगा तो मंच से प्राध्यापक तेजेंद्र ने पांच-पांच की बैच में विद्यार्थियों के नामों की घोषणा की। जल्दबाजी में सबको स्टेज पर आने के लिए कहा गया। प्रत्येक बैच में कम से कम दो विद्यार्थी पटका धारण करने में जल्दबाजी कर उसे उल्टा पहन लिया। पटका पर लिखा शब्द.डाइट पानीपत.उल्टा दिखाई देने लगा। प्राध्यापक व स्टाफ से लेकर दर्जनों मौजूद विद्यार्थी का ध्यान इस तरफ नहीं गया।
सांस्कृतिक प्रस्तुति में बटोरी शाबाशी
छात्राओं ने मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। श्रेया व पिंकी ने आधुनिक संगीत पर नृत्य किया। पिंकी ने भक्ति गीत तथा अमनदीप ने कॉलेज के वो दिन.कविता सुनाई। छात्राओं ने हरियाणवी नृत्य की प्रस्तुति दी।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
उन्होंने कहा कि शिक्षक तीन प्रकार के होते हैं। प्रथम.जहां हैं वहां फिट नहीं हैं, टीचिंग के काबिल नहीं हैं। द्वितीय.मैकेनिकल ट्रांसमीटर उनके पास अपना कुछ नहीं है, रात को कुंजी का अध्ययन कर बच्चों को पढ़ाते हैं। लेकिन वह पहले कैटेगरी से बेहतर हैं। तीसरा.रीयल सेंस टीचर जो समाज में वास्तविक शिक्षक का रोल निभाते हैं। जीवन में कुछ देना सीखो। जब यह सीख लेंगे तो धरती पर कोई तकलीफ नहीं होगी। हक नहीं छोड़ें। लेकिन इस बात पर जरूर गौर करें कि समाज को दे ज्यादा रहे हैं या स्वयं ले ज्यादा रहे हैं। मशहूर शायर हाली का यह कहना कि फरिश्तों से बेहतर है इंसान बनना.लेकिन इसमें मेहनत ज्यादा पड़ती है। साहित्य समाज का दर्पण होता है।
डीईओ जय भगवान खटक ने कहा कि शिक्षण का कार्य आसान नहीं है। समर्पण, आस्थावान व केंद्रित होकर कार्य करेंगे तभी सफलता मिलेगी। स्कूलों में ऐसा देखने में आता है कि अध्यापक शिक्षण कार्य छोड़कर फोन पर बातें करने में मशगूल होते हैं। कक्षा सफर कर जाती है। पढ़ाने में कंफिडेंस होना चाहिए। विषय पर कमांड होना भी जरूरी है। शिक्षक जिन्हें पढ़ाते वो समाज का दर्पण होता है। दर्पण साफ सुथरा होगा तो प्रतिबिंब भी साफ होगा। आरके चानना व लक्ष्मी नारायण मौजूद थे।
87 विद्यार्थियों को डिप्लोमा
डाइट में 2012-14 बैच के 87 विद्यार्थियों को डिप्लोमा दिया गया। पांच विद्यार्थी अनुपस्थित रहे। मुख्य अतिथि आरके मल्होत्रा, डीईओ जय भगवान खटक, सुरेश ढींगड़ा, राज खुराना व नीलम गुलाटी ने विद्यार्थियों को डिप्लोमा दिया।
पटका उल्टा पहना
जब डिप्लोमा बंटने लगा तो मंच से प्राध्यापक तेजेंद्र ने पांच-पांच की बैच में विद्यार्थियों के नामों की घोषणा की। जल्दबाजी में सबको स्टेज पर आने के लिए कहा गया। प्रत्येक बैच में कम से कम दो विद्यार्थी पटका धारण करने में जल्दबाजी कर उसे उल्टा पहन लिया। पटका पर लिखा शब्द.डाइट पानीपत.उल्टा दिखाई देने लगा। प्राध्यापक व स्टाफ से लेकर दर्जनों मौजूद विद्यार्थी का ध्यान इस तरफ नहीं गया।
सांस्कृतिक प्रस्तुति में बटोरी शाबाशी
छात्राओं ने मंच पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी। श्रेया व पिंकी ने आधुनिक संगीत पर नृत्य किया। पिंकी ने भक्ति गीत तथा अमनदीप ने कॉलेज के वो दिन.कविता सुनाई। छात्राओं ने हरियाणवी नृत्य की प्रस्तुति दी।
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