Guest teacher News updates : सुप्रीम कोर्ट से अतिथि अध्यापकों को नहीं मिली राहत

भिवानी। प्रदेश सरकार द्वारा न्यायालय से ली गई 3581 अतिथि अध्यापकों को शिक्षक पदों पर बनाएं रखने की अनुमति की समय सीमा 31 मार्च को समाप्त होने के साथ ही हजारों अतिथि अध्यापकों को स्कूल प्रमुखों ने घर भेज दिया है।
इस बीच इन अतिथि अध्यापकों द्वारा शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में डाली गई याचिका पर भी न्यायालय ने तुरंत प्रभाव से सुनवाई से मना कर दिया और उन्हें किसी प्रकार का स्टे भी नहीं दिया है।

गौरतलब है की प्रदेश सरकार ने गत वर्ष लगभग 4000 हजार अतिथि अध्यापकों को सरप्लस बताया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने इन अतिथि अध्यापकों को हटाने के निर्देश दिए थे। न्यायालय के आदेश के बाद सरकार ने 3581 अतिथि अध्यापकों को जून 2015 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। जिसके साथ ही प्रदेश में अतिथि अध्यापकों व उनके परिजनों ने जोरदार आंदोलन छेड़ा था।

इस आंदोलन के चलते सरकार ने बीच का रास्ता निकाला और उच्च न्यायालय में अपील लगाई कि प्रदेश में शिक्षकों की नई भर्ती होने तक इन अतिथि अध्यापकों को पुन: नौकरी में लेने की अनुमति प्रदान की जाए। सरकार द्वारा यह भी कहा गया था कि भर्ती प्रक्रिया में समय लगने के कारण स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी।  सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए न्यायलय ने 31 मार्च 2016 तक 3581 अतिथि अध्यापकों को पुन: नौकरी में लेने की अनुमति प्रदान कर दी। साथ ही न्यायालय ने कहा था कि 31 मार्च को इन अतिथि अध्यापकों को नौकरी से हटाना होगा।

इसी दौरान अतिथि अध्यापक संघ की एक याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार से अतिथि अध्यापकों के बारे स्थिति स्पष्ट करने को कहा। 22 मार्च को अपने जवाब में प्रदेश सरकार ने न्यायालय से अतिथि अध्यापकों को अगस्त 2016 तक लगे रहने की छूट देने का अनुरोध किया था। साथ ही कहा गया था कि अभी भर्ती में कुछ समय और लगेगा। लेकिन, न्यायालय ने सरकार की यह अपील नकार दी।

सरकार की अतिथि अध्यापकों को एक्सटेंशन देने की अपील न्यायालय द्वारा खारिज कर दिए जाने के बाद अतिथि अध्यापकों का जाना तय था। अतिथि अध्यापकों में मुख्यत: हिंदी, एसएस व गणित के अध्यापक शामिल हैं।

कैसे होगी नए सत्र की शुरूआत
3581 अतिथि अध्यापकों की विदाई के बाद स्कूलों में अध्यापन कार्य पर प्रभाव पड़ना लाजिमी है। अकेले भिवानी जिले में ही 254 अतिथि अध्यापकों को हटाया गया है। ऐसे में नए शिक्षा सत्र पर इसका असर पड़ना लाजिमी है। कहने को तो प्रदेश सरकार समुचित प्रबंधों की बात कर रही है, लेकिन छठी से लेकर दसवीं तक को पढ़ाने वाले इन 3581 अध्यापकों की रवानगी कहीं न कहीं पढ़ाई पर असर जरूर डालेगी।

अतिथि अध्यापक संघ के प्रवक्ता धर्मबीर कौशिक का कहना है कि उन्हें अभी भी सरकार से पूरी उम्मीद है कि सरकार अपना पुराना वादा पूरा करेगी। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले अतिथि अध्यापकों को नियमित करने का आश्वासन दिया था। उन्होंने जाट आरक्षण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब सरकार सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण को खारिज करने के बावजूद जाटों को आरक्षण दे सकती है तो उन्हें भी नौकरी पर क्यों नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अतिथि अध्यापकों की रोजी-रोटी तथा स्कूलों में पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए सरकार उनके लिए भी कोई न कोई रास्ता जरूर निकालेगी। अन्यथा वे आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।

क्या कहते हैं अधिकारी
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतबीर सिवाच ने कहा कि अतिथि अध्यापकों तथा सरकार द्वारा न्यायालय में दिए गए शपथपत्रों के अनुरूप 31 मार्च तक ही 3581 अतिथि अध्यापकों की सेवाएं रखी जा सकती थी। यही कारण है कि 31 मार्च को स्वभाविक तौर पर इन अतिथि अध्यापकों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
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