करीब 10 साल से हरियाणा के स्कूलों में कार्यरत 3581 अतिथि अध्यापकों की सेवाएं समाप्त हो गयी हैं। इनकी सेवाओं की समय सीमा 31 मार्च को खत्म होने के साथ ही स्कूल मुखियाओं ने इन्हें विदा कर दिया। अगले दिन यानी 1 अप्रैल को राहत की उम्मीद के साथ इन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन वहां भी इनकी
याचिका खारिज कर दी गयी। इस बीच 31 मार्च को ही शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने विभाग के अफसरों के साथ बैठक कर अतिथि अध्यापकों की नौकरी बचाने के रास्ते सुझाने को कहा, लेकिन अफसरों ने भी हाथ खड़े कर दिये। अफसरों का साफ कहना है कि अतिथि अध्यापकों की सेवाएं जारी रखना सीधे-सीधे कोर्ट की अवमानना होगी। अब इन अध्यापकों के सामने घर बैठने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है और हाईकोर्ट में 27 अप्रैल को होने वाली सुनवाई पर इनकी निगाहें टिकी हुई हैं।
3581 अतिथि अध्यापकों को शिक्षा विभाग ने जून 2015 में सरप्लस बताते हुए हटा दिया था। इसके बाद अतिथि शिक्षकों के संगठन ने महेन्द्रगढ़ में बड़ा आंदोलन चलाया था।
तब प्रदेश की भाजपा सरकार ने कोर्ट में हल्फनामा देकर उक्त शिक्षकों को सरप्लस न होने की बात कही थी। शिक्षा सत्र 2015-16 को पूरा करवाने के लिए हाईकोर्ट में समय बढ़ाने की मांग की थी। इसे मानते हुए हाईकोर्ट ने उक्त शिक्षकों को 31 मार्च 2016 तक का समय दिया था। 28 नवंबर 2015 में इन 3581 अतिथि शिक्षकों को फिर से स्कूलों में लिया गया। साथ ही हल्फनामा लिया गया था कि 31 मार्च 2016 को उनकी सेवाएं स्वत: ही समाप्त समझी जाएंगी और वे किसी प्रकार का दावा नहीं करेंगे। शिक्षा विभाग ने 22 मार्च को हाईकोर्ट से एक बार फिर आग्रह भी किया है कि उक्त शिक्षकों का समय और बढ़ाया जाए। दलील दी गयी कि भर्ती में कुछ समय और लगेगा, लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार के उक्त आग्रह को ठुकरा दिया और सुनवाई के लिए सुनवाई 27 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।
”अतिथि अध्यापकों और सरकार की ओर से कोर्ट में दिये गये शपथपत्रों के मुताबिक 31 मार्च तक ही 3581 अतिथि अध्यापकों की सेवाएं रखी जा सकती थीं। यही कारण है कि बृहस्पतिवार को स्वभाविक तौर पर इन अतिथि अध्यापकों की सेवाएं समाप्त कर दी गयी हैं।
– सतबीर सिवाच, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, भिवानी
”जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज करने के बावजूद सरकार जाटों को आरक्षण दे सकती है तो उन्हें नौकरी पर क्यों नहीं रखा जा सकता। उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार अपना वादा पूरा करेगी। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले अतिथि अध्यापकों को नियमित करने का आश्वासन दिया था।
-धर्मबीर कौशिक, अतिथि अध्यापक संघ के प्रवक्ता
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
याचिका खारिज कर दी गयी। इस बीच 31 मार्च को ही शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने विभाग के अफसरों के साथ बैठक कर अतिथि अध्यापकों की नौकरी बचाने के रास्ते सुझाने को कहा, लेकिन अफसरों ने भी हाथ खड़े कर दिये। अफसरों का साफ कहना है कि अतिथि अध्यापकों की सेवाएं जारी रखना सीधे-सीधे कोर्ट की अवमानना होगी। अब इन अध्यापकों के सामने घर बैठने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचा है और हाईकोर्ट में 27 अप्रैल को होने वाली सुनवाई पर इनकी निगाहें टिकी हुई हैं।
3581 अतिथि अध्यापकों को शिक्षा विभाग ने जून 2015 में सरप्लस बताते हुए हटा दिया था। इसके बाद अतिथि शिक्षकों के संगठन ने महेन्द्रगढ़ में बड़ा आंदोलन चलाया था।
तब प्रदेश की भाजपा सरकार ने कोर्ट में हल्फनामा देकर उक्त शिक्षकों को सरप्लस न होने की बात कही थी। शिक्षा सत्र 2015-16 को पूरा करवाने के लिए हाईकोर्ट में समय बढ़ाने की मांग की थी। इसे मानते हुए हाईकोर्ट ने उक्त शिक्षकों को 31 मार्च 2016 तक का समय दिया था। 28 नवंबर 2015 में इन 3581 अतिथि शिक्षकों को फिर से स्कूलों में लिया गया। साथ ही हल्फनामा लिया गया था कि 31 मार्च 2016 को उनकी सेवाएं स्वत: ही समाप्त समझी जाएंगी और वे किसी प्रकार का दावा नहीं करेंगे। शिक्षा विभाग ने 22 मार्च को हाईकोर्ट से एक बार फिर आग्रह भी किया है कि उक्त शिक्षकों का समय और बढ़ाया जाए। दलील दी गयी कि भर्ती में कुछ समय और लगेगा, लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार के उक्त आग्रह को ठुकरा दिया और सुनवाई के लिए सुनवाई 27 अप्रैल की तारीख निर्धारित की है।
”अतिथि अध्यापकों और सरकार की ओर से कोर्ट में दिये गये शपथपत्रों के मुताबिक 31 मार्च तक ही 3581 अतिथि अध्यापकों की सेवाएं रखी जा सकती थीं। यही कारण है कि बृहस्पतिवार को स्वभाविक तौर पर इन अतिथि अध्यापकों की सेवाएं समाप्त कर दी गयी हैं।
– सतबीर सिवाच, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी, भिवानी
”जब सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज करने के बावजूद सरकार जाटों को आरक्षण दे सकती है तो उन्हें नौकरी पर क्यों नहीं रखा जा सकता। उन्हें पूरी उम्मीद है कि सरकार अपना वादा पूरा करेगी। भाजपा ने सत्ता में आने से पहले अतिथि अध्यापकों को नियमित करने का आश्वासन दिया था।
-धर्मबीर कौशिक, अतिथि अध्यापक संघ के प्रवक्ता
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC