जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : 'आज निजी स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में
अच्छा परिणाम देने के साथ बड़ी संख्या में शिक्षकों को नौकरी दे रहे हैं।
इसके बावजूद सरकार 134ए के नाम पर निजी स्कूलों को चोर साबित करने का
प्रयास कर रही है। 134ए के नाम पर मेधावी छात्रों के साथ मजाक किया जा रहा
है, क्योंकि इसका लाभ झूठे प्रमाणपत्र बनाकर साधन संपन्न लोग लेने में जुटे
हैं।
यदि सही समाधान नहीं निकाला गया तो इसके गंभीर परिणाम सरकार के सामने होंगे।' ये बातें गीता निकेतन आवासीय विद्यालय में सोमवार को हरियाणा शिक्षा नियमावली के नियम 134ए पर चर्चा के लिए आयोजित अभिभावक संगोष्ठी में वक्ताओं ने कीं।
संगोष्ठी में मुख्य चर्चा प्रवर्तक विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ऋषि गोयल ने शिक्षाविदों, अधिवक्ताओं, व्यापारियों एवं अभिभावकों के समक्ष नियम 134ए के शिक्षा पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के विषय में चर्चा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में हरियाणा प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था आरटीई 2009 के दोषपूर्ण क्रियान्वयन के कारण बुरी तरह से प्रभावित है। उससे स्थान-स्थान पर निजी विद्यालयों के संचालकों एवं अभिभावक संघ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की सरकार शिक्षा एवं छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति अदूरदर्शिता दिखाते हुए शिक्षा का काला कानून 134ए को लागू करने पर उतारू है। सरकारी अधिकारी भी निजी विद्यालयों में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिए सरकारी विद्यालयों की कार्य संस्कृति को निजी विद्यालयों पर थोपने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। निजी विद्यालयों की प्रभावपूर्ण शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में बताया कि प्रदेश के 60 प्रतिशत छात्र निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बडे़ शहरों के कुछ नामचीन विद्यालयों को छोड़ कर सभी निजी विद्यालयों में प्रति छात्र खर्च सरकारी विद्यालय की अपेक्षा बहुत कम है। परीक्षा परिणाम एवं शिक्षकों को रोजगार देने में निजी विद्यालय प्रदेश सरकार की तुलना में कई कदम आगे हैं। इसके बावजूद निजी विद्यालयों के कार्य की प्रशंसा करना तो दूर प्रदेश की लोक-कल्याणकारी सरकार एवं उनके शिक्षा अधिकारी निजी विद्यालयों को चोरों का गिरोह, लुटेरे आदि बताने में लगे हुए हैं। संगोष्ठी में उपस्थित अभिभावकों ने 134ए के इस काले कानून का विरोध किया और शिक्षा व्यवस्था पर इसके भयंकर परिणामों का भी स्वीकार किया। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ. विश्वराज ¨सह, प्रबंधक राजेंद्र ¨सह कलेर, डिवाइन पब्लिक स्कूल, शाहाबाद की प्राचार्या, वरिष्ठ शिक्षाविद् रमेश कुमार आदि थे।
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यदि सही समाधान नहीं निकाला गया तो इसके गंभीर परिणाम सरकार के सामने होंगे।' ये बातें गीता निकेतन आवासीय विद्यालय में सोमवार को हरियाणा शिक्षा नियमावली के नियम 134ए पर चर्चा के लिए आयोजित अभिभावक संगोष्ठी में वक्ताओं ने कीं।
संगोष्ठी में मुख्य चर्चा प्रवर्तक विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ऋषि गोयल ने शिक्षाविदों, अधिवक्ताओं, व्यापारियों एवं अभिभावकों के समक्ष नियम 134ए के शिक्षा पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के विषय में चर्चा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में हरियाणा प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था आरटीई 2009 के दोषपूर्ण क्रियान्वयन के कारण बुरी तरह से प्रभावित है। उससे स्थान-स्थान पर निजी विद्यालयों के संचालकों एवं अभिभावक संघ सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की सरकार शिक्षा एवं छात्रों के उज्ज्वल भविष्य के प्रति अदूरदर्शिता दिखाते हुए शिक्षा का काला कानून 134ए को लागू करने पर उतारू है। सरकारी अधिकारी भी निजी विद्यालयों में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के लिए सरकारी विद्यालयों की कार्य संस्कृति को निजी विद्यालयों पर थोपने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। निजी विद्यालयों की प्रभावपूर्ण शिक्षा प्रणाली के संदर्भ में बताया कि प्रदेश के 60 प्रतिशत छात्र निजी विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। बडे़ शहरों के कुछ नामचीन विद्यालयों को छोड़ कर सभी निजी विद्यालयों में प्रति छात्र खर्च सरकारी विद्यालय की अपेक्षा बहुत कम है। परीक्षा परिणाम एवं शिक्षकों को रोजगार देने में निजी विद्यालय प्रदेश सरकार की तुलना में कई कदम आगे हैं। इसके बावजूद निजी विद्यालयों के कार्य की प्रशंसा करना तो दूर प्रदेश की लोक-कल्याणकारी सरकार एवं उनके शिक्षा अधिकारी निजी विद्यालयों को चोरों का गिरोह, लुटेरे आदि बताने में लगे हुए हैं। संगोष्ठी में उपस्थित अभिभावकों ने 134ए के इस काले कानून का विरोध किया और शिक्षा व्यवस्था पर इसके भयंकर परिणामों का भी स्वीकार किया। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष डॉ. विश्वराज ¨सह, प्रबंधक राजेंद्र ¨सह कलेर, डिवाइन पब्लिक स्कूल, शाहाबाद की प्राचार्या, वरिष्ठ शिक्षाविद् रमेश कुमार आदि थे।
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