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BEd College Haryana : बीएड कॉलेज के नाम पर बंद हो दुकानदारी : हाईकोर्ट

बीएड कॉलेज के नाम पर बंद हो दुकानदारी : हाईकोर्ट
** सख्त टिप्पणी : बीएड कॉलेजों में आधी से ज्यादा खाली रहने के बावजूद ऐसे कॉलेजों की संख्या पर हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती
चंडीगढ़ : प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे बीएड कॉलेजों की संख्या और खाली पड़ी सीटों पर चिंता जताते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि बीएड कॉलेज बढ़े रहे हैं जबकि सीटें खाली हैं। ऐसे में इस तरह की दुकानों को बंद होना चाहिए। सरकार की तरफ से इस पर छह माह का समय दिए जाने की मांग की जिसे हाईकोर्ट ने देने से इनकार करते हुए यथासंभव शीघ्र कार्रवाई कर कोर्ट में जवाब दाखिल करने को कहा है।

अगली सुनवाई पर हाजिर रहने आदेश
हाईकोर्ट ने इंजीनियरिंग पॉलीटेक्नीक कॉलेजों में प्रदेश में गिरते स्तर पर भी चिंता जताई। कोर्ट ने कहा कि यह सामने रहा है कि इन कॉलेजों में सीटें खाली पड़ी हैं। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाए कि इस तरह के संस्थानों पर धीरे धीरे अंकुश लगाया जाए।
ठोस नियम बनाने की आवश्यकता
सुनवाई के दौरान याची पक्ष की तरफ से मौजूद वकीलों ने बीएड संस्थानों को लेकर ठोस नियम बनाने की आवश्यकता जताई गई। कहा गया कि बीएड कोर्स कराने के लिए मान्यता यूनिवर्सिटी से मिलती है लेकिन इसके लिए मंजूरी नेशनल काउंसिल फॉर टीचर्स एजुकेशन देता है। कोर्ट को कहा गया कि मंजूरी देने के लिए निरीक्षण का प्रावधान है परंतु यह महज कागजों तक सीमित है।
हाईकोर्ट ने बीएड कॉलेजों की दुकानदारी पर टिप्पणी की तो वर्धन ने कहा कि सरकार इन कॉलेजों पर लगाम लगाने की दिशा में काम कर रही है और उन्हें छह माह का समय दिया जाए। किसी भी बीए बीएड और बीएससी बीएड कोर्स चलाने वाले संस्थान को मंजूरी नहीं दी है। हाईकोर्ट ने उनकी इस दलील को स्वीकार करने से फिलहाल इनकार करते हुए उन्हें अगली सुनवाई पर हाजिर रहने के आदेश दिए हैं।
पहले कॉलेज तो दोबारा चलता मिला स्कूल
कोर्ट में एक कॉलेज का उदाहरण देते हुए बताया गया कि एक स्कूल की इमारत में ही बीएड कॉलेज चलाया जा रहा था। जब इसके निरीक्षण के लिए पहुंचे तो यहां सब कुछ ठीक-ठाक था परंतु दोबारा जब अचानक निरीक्षण किया गया तो वहां स्कूल का बोर्ड लगा दिखाई दिया। इसके बाद जब मान्यता आगे जारी रखने से इनकार कर दिया गया तो दलील दी गई कि स्कूल का बोर्ड गलती से लगा था। बताया गया कि इस प्रकार की स्थिति के चलते ही प्रदेश में स्कूलों की दुर्दशा है। जो शिक्षक ऐसे स्कूलों से निकलते हैं उनमें शिक्षक में होने वाली खूबियों का अभाव होता है।
गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं : कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि सरकार बेरोजगारों की फौज तैयार करने के स्थान पर अच्छे डाक्टर, इंजीनियर शिक्षक तैयार करे। गुरुवार को हाईकोर्ट में मौजूद हायर एजुकेशन विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी विजय वर्धन ने कोर्ट में जानकारी दी कि प्रदेश में 491 बीएड कॉलेजों में 60,762 सीटें मंजूर हैं। बीते वर्ष हुई काउंसलिंग में केवल 32,811 सीटें भरी गईं और 27,951 सीटें खाली पड़ी हैं। सरकार इन कॉलेजों का निरीक्षण करे और देखे कि कौन से संस्थान गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते हैं। ऐसे संस्थानों पर ताला लगाने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए।

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