चंडीगढ़ : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से जाट सहित छह अन्य जातियों को पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण दिए जाने पर लगाई गई अंतरिम रोक से इन जातियों के छात्र-छात्रएं परेशान हैं। इस कारण न तो उन्हें पिछड़े वर्ग का लाभ मिल पा रहा है, न ही सामान्य वर्ग में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के कोटे का लाभ मिल पा रहा है। इससे परेशान एक छात्र हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गई है।
उसकी याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
रोहतक के महम निवासी मानसी सिवाच ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि उसने रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के प्रवेश के लिए आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के कोटे में आवेदन किया था। याची ने हरियाणा सरकार द्वारा आर्थिक तौर पर कमजोर श्रेणी के लिए दिए जाने वाले आरक्षण का लाभ लेने के लिए तहसीलदार को इस बाबत प्रमाण पत्र देने की मांग की। लेकिन अधिकारी इस आधार पर उसको आर्थिक तौर पर कमजोर श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी नही कर रहे क्योंकि जाट जाति को सरकार ने बीसी श्रेणी में रखा हुआ है। इसलिए यूनिवर्सिटी उसे आर्थिक तौर पर कमजोर श्रेणी का लाभ प्रवेश में नही दे रही है। याची के वकील संदीप गोयत ने हाईकोर्ट से कहा कि हरियाणा सरकार ने जाट जाति को बीसी सी वर्ग में रख कर आरक्षण का प्रावधान किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। केस अभीं विचाराधीन है। इस लिए याची को इस आरक्षण का लाभ नही मिल पा रहा है।
याची के वकील ने कोर्ट से मांग की कि जब तक उसकी याचिका का निपटारा नही होता, उसके लिए एमबीबीएस में एक सीट रिक्त रखी जाए। उनकी दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया हैं।
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उसकी याचिका पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
रोहतक के महम निवासी मानसी सिवाच ने हाईकोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा कि उसने रोहतक स्थित पंडित भगवत दयाल शर्मा हेल्थ यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस के प्रवेश के लिए आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के कोटे में आवेदन किया था। याची ने हरियाणा सरकार द्वारा आर्थिक तौर पर कमजोर श्रेणी के लिए दिए जाने वाले आरक्षण का लाभ लेने के लिए तहसीलदार को इस बाबत प्रमाण पत्र देने की मांग की। लेकिन अधिकारी इस आधार पर उसको आर्थिक तौर पर कमजोर श्रेणी का प्रमाण पत्र जारी नही कर रहे क्योंकि जाट जाति को सरकार ने बीसी श्रेणी में रखा हुआ है। इसलिए यूनिवर्सिटी उसे आर्थिक तौर पर कमजोर श्रेणी का लाभ प्रवेश में नही दे रही है। याची के वकील संदीप गोयत ने हाईकोर्ट से कहा कि हरियाणा सरकार ने जाट जाति को बीसी सी वर्ग में रख कर आरक्षण का प्रावधान किया था। लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी। केस अभीं विचाराधीन है। इस लिए याची को इस आरक्षण का लाभ नही मिल पा रहा है।
याची के वकील ने कोर्ट से मांग की कि जब तक उसकी याचिका का निपटारा नही होता, उसके लिए एमबीबीएस में एक सीट रिक्त रखी जाए। उनकी दलील सुनने के बाद हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार को इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया हैं।
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