सुरेंद्र चौहान, पलवल
इन दिनों जिले के सरकारी स्कूलों के गुरुजी वोट बनाने और घरों में बीपीएल के सर्वेक्षण कार्य में जुटे हुए हैं और कक्षाओं में खाली कुर्सियां उनके काम से फ्री होने का इंतजार कर रही हैं। पहले से ही स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों के कारण पढ़ाई बाधित थी, अब तो बिल्कुल चौपट होकर रह गई है।
मात्र 10 प्रतिशत शिक्षक ही स्कूलों में कार्यरत हैं, उनमें भी कुछ अवकाश पर रहते हैं। उधर तिमाही और बोर्ड की री-अपियर की परीक्षाएं भी इसी माह होनी हैं। ऐसे में बच्चे कैसा पेपर देंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। एक तरफ शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझाया हुआ है तो दूसरी तरफ बोर्ड परिणाम खराब आने पर कुछ मुखियाओं और शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। उनकी पदोन्नति भी रोकी जा सकती है। वर्तमान में मतदाता पुनर्निरीक्षण कार्य में करीब 800 और करीब 900 शिक्षकों को आर्थिक सर्वेक्षण कार्य में लगाया हुआ है। आर्थिक सर्वेक्षण तो घर-घर जाकर पूरे परिवार का विवरण लेने के बाद कंप्यूटर में डाटा फीड करना है। कुछ शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें कंप्यूटर चलाना ही नहीं आता है। अब उनके लिए डाटा फीड करना भी किसी परेशानी से कम नहीं।
जिले में 55 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं, हालांकि तीन विद्यालय हाल ही में उच्च से वरिष्ठ बने हैं, लेकिन अभी उनमें प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। 45 उच्च विद्यालय, 148 मिडिल तथा 614 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें से करीब 25 उच्च विद्यालयों, 52 मिडिल तथा करीब 400 प्राथमिक विद्यालयों में मुखियाओं के पद रिक्त पड़े हैं। इसके अलावा शिक्षकों के तो 65 प्रतिशत पद रिक्त हैं। हाल ही में अदालत के आदेश पर करीब 700 जेबीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए, उन्हें भी अभी तक सेंटर अलॉट नहीं हुए हैं।
बहीन के राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला में 200 छात्राओं पर एक अतिथि शिक्षक, राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय नांगल जाट में कक्षा आठवीं तक सिर्फ एक अतिथि अध्यापक तैनात है। ऐसे हालात जिले के दर्जनों स्कूलों में हैं, जहां एक या दो ही शिक्षक तैनात है। उन्हें भी कभी स्कूल की डाक पहुंचाने तो कभी अन्य दूसरे कार्यों में लगा दिया जाता है और यदि अवकाश पर हों तो स्कूल रामभरोसे ही चलते हैं। अकेले अध्यापक के लिए स्कूल में छात्राओं को पढ़ाना तो दूर उन्हें संभाल पाना भी मुश्किल होता है। शिक्षक जब किसी कक्षा में पढ़ाने लग जाता है, तो दूसरी कक्षाओं की छात्राएं शोर-शराबा शुरू कर देती हैं। पीने के पानी के लिए छात्राएं कई बार बीच में ही घर चली जाती हैं।
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सरकार ने शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बनाया हुआ है। पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है, ऊपर से उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा दिया जाता है। उसके बावजूद बोर्ड परिणाम को अच्छा देने के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाया जाता है। यह शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने जैसा है। पहले स्कूलों में नियमित भर्ती से शिक्षकों की कमी दूर हो।
- महेंद्र चौहान, मुख्य संरक्षक हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ
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नियुक्ति पत्र पाने वाले जेबीटी अध्यापकों के सभी कागजात पूरे कर आला अधिकारियों को भिजवाए हुए हैं। आदेशों का इंतजार है। प्राथमिक कक्षाओं में इनसे कमी पूरी हो जाएगी। अन्य शिक्षकों की भी भर्ती प्रक्रिया चल रही है। उनके बाद दिक्कत खत्म हो जाएगी। गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने पर व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।
- अनिल शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी।
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Jagran
इन दिनों जिले के सरकारी स्कूलों के गुरुजी वोट बनाने और घरों में बीपीएल के सर्वेक्षण कार्य में जुटे हुए हैं और कक्षाओं में खाली कुर्सियां उनके काम से फ्री होने का इंतजार कर रही हैं। पहले से ही स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पदों के कारण पढ़ाई बाधित थी, अब तो बिल्कुल चौपट होकर रह गई है।
मात्र 10 प्रतिशत शिक्षक ही स्कूलों में कार्यरत हैं, उनमें भी कुछ अवकाश पर रहते हैं। उधर तिमाही और बोर्ड की री-अपियर की परीक्षाएं भी इसी माह होनी हैं। ऐसे में बच्चे कैसा पेपर देंगे, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। एक तरफ शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों में उलझाया हुआ है तो दूसरी तरफ बोर्ड परिणाम खराब आने पर कुछ मुखियाओं और शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है। उनकी पदोन्नति भी रोकी जा सकती है। वर्तमान में मतदाता पुनर्निरीक्षण कार्य में करीब 800 और करीब 900 शिक्षकों को आर्थिक सर्वेक्षण कार्य में लगाया हुआ है। आर्थिक सर्वेक्षण तो घर-घर जाकर पूरे परिवार का विवरण लेने के बाद कंप्यूटर में डाटा फीड करना है। कुछ शिक्षक ऐसे हैं, जिन्हें कंप्यूटर चलाना ही नहीं आता है। अब उनके लिए डाटा फीड करना भी किसी परेशानी से कम नहीं।
जिले में 55 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हैं, हालांकि तीन विद्यालय हाल ही में उच्च से वरिष्ठ बने हैं, लेकिन अभी उनमें प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। 45 उच्च विद्यालय, 148 मिडिल तथा 614 प्राथमिक विद्यालय हैं, जिनमें से करीब 25 उच्च विद्यालयों, 52 मिडिल तथा करीब 400 प्राथमिक विद्यालयों में मुखियाओं के पद रिक्त पड़े हैं। इसके अलावा शिक्षकों के तो 65 प्रतिशत पद रिक्त हैं। हाल ही में अदालत के आदेश पर करीब 700 जेबीटी शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए, उन्हें भी अभी तक सेंटर अलॉट नहीं हुए हैं।
बहीन के राजकीय कन्या प्राथमिक पाठशाला में 200 छात्राओं पर एक अतिथि शिक्षक, राजकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय नांगल जाट में कक्षा आठवीं तक सिर्फ एक अतिथि अध्यापक तैनात है। ऐसे हालात जिले के दर्जनों स्कूलों में हैं, जहां एक या दो ही शिक्षक तैनात है। उन्हें भी कभी स्कूल की डाक पहुंचाने तो कभी अन्य दूसरे कार्यों में लगा दिया जाता है और यदि अवकाश पर हों तो स्कूल रामभरोसे ही चलते हैं। अकेले अध्यापक के लिए स्कूल में छात्राओं को पढ़ाना तो दूर उन्हें संभाल पाना भी मुश्किल होता है। शिक्षक जब किसी कक्षा में पढ़ाने लग जाता है, तो दूसरी कक्षाओं की छात्राएं शोर-शराबा शुरू कर देती हैं। पीने के पानी के लिए छात्राएं कई बार बीच में ही घर चली जाती हैं।
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सरकार ने शिक्षा विभाग को प्रयोगशाला बनाया हुआ है। पहले से ही शिक्षकों की भारी कमी है, ऊपर से उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में लगा दिया जाता है। उसके बावजूद बोर्ड परिणाम को अच्छा देने के लिए शिक्षकों पर दबाव बनाया जाता है। यह शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने जैसा है। पहले स्कूलों में नियमित भर्ती से शिक्षकों की कमी दूर हो।
- महेंद्र चौहान, मुख्य संरक्षक हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ
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नियुक्ति पत्र पाने वाले जेबीटी अध्यापकों के सभी कागजात पूरे कर आला अधिकारियों को भिजवाए हुए हैं। आदेशों का इंतजार है। प्राथमिक कक्षाओं में इनसे कमी पूरी हो जाएगी। अन्य शिक्षकों की भी भर्ती प्रक्रिया चल रही है। उनके बाद दिक्कत खत्म हो जाएगी। गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने पर व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया जा रहा है।
- अनिल शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी।