चंडीगढ़। शिक्षकों से गैर शिक्षण कार्य लेने के हरियाणा सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार व अन्य को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए अनिल कुमार व अन्य ने हाईकोर्ट को बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों से केवल शिक्षण का कार्य लिया जा सकता है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भी अपने आदेश में स्पष्ट कर चुका है कि शिक्षकों से गैर शिक्षण कार्य लेना कानूनी रूप से सही नहीं है। नियम के अनुसार मतदान ड्यूटी, मतदान की ट्रेनिंग, जनगणना व आपदा प्रबंधन के अतिरिक्त शिक्षकों से कोई और ड्यूटी नहीं ली जा सकती, जबकि हरियाणा सरकार बीएलओ व परिवार पहचान पत्र के कार्य को शिक्षकों को सौंप रही है। सरकार द्वारा शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह आय की जांच का कार्य पूरा करेंगे।
याची ने कहा कि भला कैसे एक शिक्षक किसी की आय की जांच कर सकता है, जबकि यह उसका कार्य ही नहीं है और न ही इसका उसको अनुभव है। साथ ही यदि शिक्षकों को इस प्रकार के कार्य की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी तो निश्चित रूप से विद्यार्थियों की पढ़ाई खराब होगी। याची पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने याचिका पर हरियाणा सरकार सहित अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।