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हरियाणा में इस टीचर के पढ़ाने के अनोखे अंदाज का हर कोई हुआ दीवाना, कक्षा छोड़ने के लिए राजी ही नहीं होते बच्चे

 Haryana News: कहते हैं हर किसी का अपना अलग अंदाज होता है और कुछ लोगों का यही अंदाज दिल में ऐसे बस जाता है कि बस उसके दीवाने होकर रह जाते हैं। कुछ ऐसा ही अंदाज रेवाड़ी जिले के गांव बुडौली में बतौर TGT साइंस टीचर के पद पर कार्यरत सतपाल सिंह का है। उनका बच्चों को पढ़ाने के अंदाज का बच्चे और ग्रामीण ही नहीं बल्कि शिक्षा विभाग भी दीवाना है।

Ajay Sehrawat:

सतपाल सिंह बच्चों को मजे- मजे में पढ़ाई करवातें है। उनकी कक्षा छोड़ने का बच्चों का मन ही नहीं करता है। वह बच्चों को किताबों के ज्ञान के साथ-साथ एक्टिविटी करवा कर पढ़ाते हैं. साइंस के कुछ डेमो बनाकर बच्चों में विषय के प्रति रुचि बढ़ाते हैं। साल 2021 में उन्हें बेस्ट टीचर का अवार्ड भी मिल चुका है और आने वाली 28 जून को उन्हें कर्नाटक में आउटस्टैंडिंग अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।

उनकी लिखी पुस्तकें हरियाणा के पाठ्यक्रम में शामिल

मास्टर सतपाल सिंह द्वारा लिखी गई छह किताबें हरियाणा के पाठ्यक्रम में शामिल भी की जा चुकी हैं. वैसे तो सतपाल सिंह टीजीटी टीचर हैं, लेकिन उन्होंने तीसरी, चौथी ,पांचवी और छठी कक्षा की दो किताबें भी लिखी है। अपने खर्च पर दीवारों पर उन्होंने साइंस के मॉडल बनाए हैं. स्कूल में लगे प्रोजेक्टर और एक्टिविटी के जरिए बच्चों को पढ़ा रहे हैं और शिक्षा विभाग को उनका यह तरीका बेहद पसंद भी आ रहा है।

लुप्त होती संस्कृति से बच्चों को करा रहे हैं अवगत

मास्टर सतपाल सिंह का कहना है कि पहले दैनिक जीवन में ऐसी काफी गतिविधियां होती थीं, जिससे काफी कुछ सीखने को मिलता था, लेकिन अब वो चीजें लुप्त होती जा रही हैं। जंगली पौधो के सरकंडों का उदाहरण देते हुए सतपाल बताते हैं कि पहले इनसे झाड़ू , रस्सी और मूढा बनाया जाता था। लेकिन, अब वो चीजें लुप्त होती जा रही हैं। इसलिए बच्चों को पढ़ाने के लिए उसका प्रैक्टिकल बनाकर समझाने की कोशिश की जा रही है और पाठ्यक्रम में भी ये चैप्टर जोड़ा गया है।

डेमो के जरिए पढ़ाई

कृषि के औजारों के डेमो से सुचालक और कुचालक विधि को समझाया जाता है। इसके अलावा शरीर के अंगों को बारीकी से चार्ट के माध्यम से समझाया जाता है। माइक्रोस्कोप जिसे खून की जांच में इतेमाल किया जाता है, पैरीस्कोप जिसे सैनिक बंकर में इस्तेमाल करते हैं, का बारीकी से अध्ययन कराया जा रहा है। उनके द्वारा बनाई गई एजुकेशनल वीडियो दीक्षा ऐप पर भी उपलब्ध है। वह बच्चों को ज्यादा से ज्यादा प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए प्रेरित करते हैं, ताकि बच्चे को सीखने और समझने में आसानी हो।

    

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