अमर उजाला ब्यूरो
करनाल। सुप्रीम कोर्ट, सीबीएसई व हरियाणा विद्यालय
शिक्षा बोर्ड के आदेशों और नियमों को धत्ता बताते हुए सरकारी और निजी
स्कूलों में तैनात अध्यापकों ने अपने घरों में ही ट्यूशन सेंटर खोल रखे
हैं। पूरे सिटी की बात करें तो यहां पर ऐसे अध्यापकों की संख्या 200 से पार
है।
सबसे खास बात ये है कि ये काम सरेआम किया जा रहा है, न तो स्कूलों के
प्रिंसिपल इस पर ऐसे अध्यापकों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं और न ही
शिक्षा विभाग। इस पूरे खेल में नौकरी और ट्यूशन पढ़ाने वाले अध्यापक मोटी
रकम कमा रहे हैं, जबकि अभिभावकों की जेबें ढीली हो रही हैं। सिटी में कई
ऐसे स्कूलों में तैनात अध्यापक ऐसे हैं, उसी स्कूल के बच्चों को 15 हजार
रुपये सालाना के हिसाब से ट्यूशन पढ़ा रहे हैं। एक अनुमान है कि इस हिसाब
से अकेले सिटी में ही ये कारोबार करोड़ों रुपये का है।
बता दें कि इस
समय एडमीशन का दौर शुरू हो गया है। शहर के कई जाने माने स्कूलों में तैनात
मैथ, अंग्रेजी, कैमिस्ट्री, बायोकैमिस्ट्री समेत अन्य विषयों के ट्यूशन
पढ़ाते हैं। सबसे अहम बात ये है कि इन टीचर्स के पास उसी स्कूल के बच्चे
ट्यूशन पढ़ते हैं। ऐसे में स्कूल के दौरान इन अध्यापकों द्वारा किस प्रकार
से पढ़ाई कराई जाती होगी, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। अभिभावक बताते हैं
कि ट्यूशन पढ़ाने वाले अध्यापक बच्चों को ट्यूशन के लिए दबाव बनाते हैं और
जो बच्चे ट्यूशन नहीं पढ़ते, उनके प्रेक्टिकल में नंबर कम देने की धमकी तक
दी जाती है, साथ ही उन बच्चों को तंग भी किया जाता है। एक अभिभावक ने
बताया कि उन्होंने अपने बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने का विरोध किया था, इस पर
अध्यापक ने बच्चों के साथ क्लास में ही बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया।
अभिभावक बताते हैं कि 10 से 12वीं तक के बच्चों से ट्यूशन के नाम पर साल भर
के लिए 15 हजार रुपये फीस ली जाती है, इसलिए अगर पूरे कारोबार को देखा जाए
तो इसमें करोड़ों रुपये के वारे न्यारे किये जाते हैं। अहम बात ये भी है
कि ये सेंटर ट्यूशन सेंटर के नियमों को भी पूरा नहीं करते हैं।
यहां चल रहे हैं ट्यूशन सेंटर
माडल
टाउन, सेक्टर-,9, सेक्टर-13, सेक्टर-6 और सेक्टर-7 समेत बस स्टैंड के पास
काफी संख्या में ट्यूशन सेंटर खुले हुए हैं। ये ट्यूशन सेंटर सुबह 5 बजे से
लेकर रात आठ से 9 बजे ट्यूशन पढ़ाते हैं। हुडा के सेक्टरों समेत अन्य
कालोनियों में एक-एक घर के सामने से एक समय में 100-100 बच्चों की स्कूटी
खड़ी रहती हैं और जाम का कारण भी बनती हैं।
सीबीएसई और हरियाणा बोर्ड में बैन है ट्यूशन
हरियाणा
विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने अपने नियम 93 (1) में साफ लिखा है कि कोई भी
सरकारी अध्यापक प्राइवेट ट्यूशन नहीं कर सकता और न ही प्राइवेट रोजगार।
इसके साथ ही हर अध्यापक पर प्रति साल एक हजार घंटे बच्चों को पढ़ाना होगा,
साथ ही स्कूल की परमिशन से 200 घंटे उन बच्चों को स्कूल में ही छुट्टी के
बाद कोचिंग देंगे। इसी प्रकार सीबीएसई, ने अपने रूलस 39 में साफ लिखा है कि
कोई भी स्टाफ सदस्य प्राइवेटतौर पर ट्यूशन नहीं पढ़ा सकता है। इतना ही
नहीं स्कूल में भी ग्रुप ट्यूशन अलाउड नहीं है।
ये हैं सुप्रीम कोर्ट के आदेश
वर्ष-2010
में सोसायटी फोर अन एडिड प्राइवेट स्कूलस आफ राजस्थान के मामले में सुनवाई
करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस एसएच कपाड़िया ने कहा है
कि अध्यापकों को ये सुनिश्चित करना होगा कि स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता
बढ़े, आरटीई का सेक्शन 28 पूरी तरह से नौकरी में होते हुए प्राइवेट ट्यूशन
पर बैन लगाता है।
स्कूलों में तैनात अध्यापक प्राइवेट तौर पर ट्यूशन
नहीं पढ़ा सकते हैं। नियमों में साफ लिखा है कि इस प्रकार से अध्यापक
ट्यूशन नहीं पढ़ा सकते। फिलहाल मेरे पास कोई शिकायत नहीं आई है, अगर शिकायत
आती है तो जरूर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही निजी स्कूलों को भी नोटिस जारी
किये जाएंगे, ताकि स्कूलों में ही बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सके।
-सरोजबाला गुर, जिला शिक्षा अधिकारी।
विभाग को करनी चाहिए कार्रवाई : अभिभावक मंच
नौकरी
में होते हुए ट्यूशन पढ़ाना नियमों के खिलाफ है। जो अध्यापक स्कूल में
पढ़ाता है और उन्हीं बच्चों को ट्यूशन पर पढ़ाएगा तो यकीनन स्कूल में वह
केवल काम चलाऊ काम करेगा। इससे उन बच्चों का नुकसान होता है, जो गरीब व
जरूरतमंद परिवारों के संबंध रखते हैं। ऐसा करना गलत है और हम इसका विरोध
करते हैं। शिक्षा विभाग समेत स्कूलों के संचालकों को इस मामले को गंभीरता
से लेना चाहिए, ताकि स्कूल में ही बच्चों को क्वालिटी की शिक्षा मिल सके और
ट्यूशन से बचा जा सके। इससे समय और पैसा दोनों बच सकते हैं।
-नवीन अग्रवाल, अभिभावक एकता मंच।
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