जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : हाईकोर्ट ने
पंजाब यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को बड़ी राहत देते हुए सिंगल बैंच के आदेशों
को फिलहाल अंतरिम तौर पर संशोधित करते हुए 60 पार कर चुके शिक्षकों को
याचिका लंबित रहते रीइंप्लॉयमेंट आधार पर सेवाओं में रखने के आदेश दिए हैं।
साथ ही हाईकोर्ट ने उन्हें दिए गए सरकारी मकान का लाभ जारी रखने और उनसे रिकवरी न करने के आदेश दिए हैं। डिविजन बैंच ने इन आदेशों के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अंतरिम आदेश याचिका पर आने वाले निर्णय पर निर्भर होंगे। मामले में याचिका दाखिल करते हुए शिक्षकों की ओर से कहा गया कि शिक्षकों की ओर से सिंगल बैंच को बताया गया था कि पीयू की सीनेट और सिंडिकेट ने 2010 और 2015 में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का निर्णय लेकर इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा था। बावजूद इसके केंद्र सरकार द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि पीयू को केंद्र सरकार से ग्राट मिलती है और ऐसे में पीयू सेंट्रल फंडेड यूनिवर्सिटी है और सभी केंदीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की रिटायरमेंट एज 65 वर्ष है, इसलिए पीयू में भी यही नियम लागू होना चाहिए।
एमएचआरडी और पंजाब सरकार ने भी रखा था पक्ष
एमएचआरडी और पंजाब सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि पीयू न तो सेंट्रल यूनिवर्सिटी है और न ही स्टेट यूनिवर्सिटी, बल्कि यह पंजाब री-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट-1966 के तहत इंटर स्टेट बॉडी कॉरपोरेट है। सिंगल बैंच ने शिक्षकों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के प्रोफेसरों की रिटायरमेंट एज 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने से साफ इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
सिंगल बैंच ने कहा था, नहीं मान सकते सेंट्रल यूनिवर्सिटी
सिंगल बैंच ने कहा था कि 92 प्रतिशत से अधिक सेंटर की ग्राट पाने के बावजूद भी पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं माना जा सकता क्योंकि केंद्र सरकार ने ऐसी कोई अधिसूचना ही जारी नहीं की है। ऐसे में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को मिलने वाले लाभ पीयू के शिक्षकों को नहीं दिए जा सकते हैं।
याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर रहेंगे संशोधन
डिविजन बैंच के सामने दलील देते हुए शिक्षकों ने कहा था कि पीयू को पहले 60 प्रतिशत ग्राट मिलती थी, परंतु बाद में कमेटी बनाकर 90 प्रतिशत ग्राट केंद्र सरकार से जारी करने का फैसला लिया गया था। जब देशभर की केंद्रीय यूनिवर्सिटी की तरह पीयू को भी 90 प्रतिशत ग्राट केंद्र से मिलती है तो ऐसे में पीयू के शिक्षकों को भी केंद्रीय यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की भाति 65 वर्ष की रिटायरमेंट एज का लाभ दिया जाना चाहिए। डिविजन बैंच ने इस पर सिंगल बैंच के आदेशों में अंतरिम तौर पर संशोधन कर दिए और इन संशोधनों को याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर कर दिया।
कैंपस के 45 और कॉलेजों के 23 प्रोफेसरों की नहीं होगी छुट्टी
सिंगल बैंच ने पीयू के शिक्षकों की याचिका को खारिज करने के साथ ही कैंपस के 45 और मान्यता प्राप्त कॉलेजों के 23 प्रोफेसरों की रिटायरमेंट पर लगी रोक भी हटा दी थी। डिविजन बैंच ने सोमवार को इन आदेशों में तो संशोधन नहीं किया, परंतु अंतरिम तौर पर आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिका लंबित रहते इन शिक्षकों को रीइंप्लॉयमेंट आधार पर सेवाओं को जारी रखने का मौका दिया जाए। डिविजन बैंच ने शिक्षकों को राहत देते हुए पीयू द्वारा अंतरिम आदेशों का लाभ पाकर सेवाओं में बने रहे शिक्षकों से रिकवरी करने पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही शिक्षक पूर्व में अलॉट किए गए सरकारी मकानों का भी इस बारे में अंतिम आदेश आने तक लाभ ले सकेंगे।
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साथ ही हाईकोर्ट ने उन्हें दिए गए सरकारी मकान का लाभ जारी रखने और उनसे रिकवरी न करने के आदेश दिए हैं। डिविजन बैंच ने इन आदेशों के साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया कि अंतरिम आदेश याचिका पर आने वाले निर्णय पर निर्भर होंगे। मामले में याचिका दाखिल करते हुए शिक्षकों की ओर से कहा गया कि शिक्षकों की ओर से सिंगल बैंच को बताया गया था कि पीयू की सीनेट और सिंडिकेट ने 2010 और 2015 में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष करने का निर्णय लेकर इसे मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा था। बावजूद इसके केंद्र सरकार द्वारा इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि पीयू को केंद्र सरकार से ग्राट मिलती है और ऐसे में पीयू सेंट्रल फंडेड यूनिवर्सिटी है और सभी केंदीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की रिटायरमेंट एज 65 वर्ष है, इसलिए पीयू में भी यही नियम लागू होना चाहिए।
एमएचआरडी और पंजाब सरकार ने भी रखा था पक्ष
एमएचआरडी और पंजाब सरकार ने इस मामले में अपना पक्ष रखते हुए यह स्पष्ट कर दिया था कि पीयू न तो सेंट्रल यूनिवर्सिटी है और न ही स्टेट यूनिवर्सिटी, बल्कि यह पंजाब री-ऑर्गेनाइजेशन एक्ट-1966 के तहत इंटर स्टेट बॉडी कॉरपोरेट है। सिंगल बैंच ने शिक्षकों की याचिका पर फैसला सुनाते हुए पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) के प्रोफेसरों की रिटायरमेंट एज 60 से बढ़ाकर 65 वर्ष किए जाने से साफ इन्कार करते हुए याचिका खारिज कर दी थी।
सिंगल बैंच ने कहा था, नहीं मान सकते सेंट्रल यूनिवर्सिटी
सिंगल बैंच ने कहा था कि 92 प्रतिशत से अधिक सेंटर की ग्राट पाने के बावजूद भी पीयू को सेंट्रल यूनिवर्सिटी नहीं माना जा सकता क्योंकि केंद्र सरकार ने ऐसी कोई अधिसूचना ही जारी नहीं की है। ऐसे में सेंट्रल यूनिवर्सिटी के शिक्षकों को मिलने वाले लाभ पीयू के शिक्षकों को नहीं दिए जा सकते हैं।
याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर रहेंगे संशोधन
डिविजन बैंच के सामने दलील देते हुए शिक्षकों ने कहा था कि पीयू को पहले 60 प्रतिशत ग्राट मिलती थी, परंतु बाद में कमेटी बनाकर 90 प्रतिशत ग्राट केंद्र सरकार से जारी करने का फैसला लिया गया था। जब देशभर की केंद्रीय यूनिवर्सिटी की तरह पीयू को भी 90 प्रतिशत ग्राट केंद्र से मिलती है तो ऐसे में पीयू के शिक्षकों को भी केंद्रीय यूनिवर्सिटी के शिक्षकों की भाति 65 वर्ष की रिटायरमेंट एज का लाभ दिया जाना चाहिए। डिविजन बैंच ने इस पर सिंगल बैंच के आदेशों में अंतरिम तौर पर संशोधन कर दिए और इन संशोधनों को याचिका पर आने वाले फैसले पर निर्भर कर दिया।
कैंपस के 45 और कॉलेजों के 23 प्रोफेसरों की नहीं होगी छुट्टी
सिंगल बैंच ने पीयू के शिक्षकों की याचिका को खारिज करने के साथ ही कैंपस के 45 और मान्यता प्राप्त कॉलेजों के 23 प्रोफेसरों की रिटायरमेंट पर लगी रोक भी हटा दी थी। डिविजन बैंच ने सोमवार को इन आदेशों में तो संशोधन नहीं किया, परंतु अंतरिम तौर पर आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिका लंबित रहते इन शिक्षकों को रीइंप्लॉयमेंट आधार पर सेवाओं को जारी रखने का मौका दिया जाए। डिविजन बैंच ने शिक्षकों को राहत देते हुए पीयू द्वारा अंतरिम आदेशों का लाभ पाकर सेवाओं में बने रहे शिक्षकों से रिकवरी करने पर भी रोक लगा दी है। इसके साथ ही शिक्षक पूर्व में अलॉट किए गए सरकारी मकानों का भी इस बारे में अंतिम आदेश आने तक लाभ ले सकेंगे।