संवाद सहयोगी, कलायत : विद्यार्थी और शिक्षक एक दूसरे के पूरक हैं।
इनमें एक दूसरे के प्रति समझने और समझाने का गुण होना बेहद जरूरी है। इसके
बिना घर-घर शिक्षा का दीप जलाना मुश्किल है। ये शब्द चौधरी रणबीर ¨सह
विश्वविद्यालय जींद के कुलपति मेजर जनरल डॉ.रणजीत ¨सह ने कहे।
वे बृहस्पतिवार को एमडीएन शिक्षण संस्थान का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने कक्षाओं के साथ ही कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय व दूसरी इकाईयों का सघन निरीक्षण किया।
इस दौरान कुलपति की अनुशंसा पर योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें डॉ. रणजीत ने विद्यार्थियों, शिक्षकों व गैर शिक्षण स्टाफ सदस्यों को योगासन के महत्व को बताया। एडवोकेट राजेन्द्र कुमार ने कहा कि सेना, शिक्षा और समाज सेवा में विलक्षण कार्य कर दिखाने वाले सेवानिवृत्त मेजर जनरल डॉ.रणजीत ¨सह का कुशल मार्ग दर्शन उन्हें मिलता आया है। वे बहु-आयामी व्यक्तित्व के धनी हैं।
अधीनस्थ शिक्षण संस्थानों के साथ अन्य संस्थानों में वे जागरूकता की अलख जगा रहे हैँ। संस्थान के प्राचार्य डॉ.विजय कांसल ने कहा कि अनुभव निसंदेह कुशल राह दिखाने में अहम होते है। जरूरत एक-दूसरे से सिखने और सिखाने की है। शिक्षण कार्य वह क्षेत्र है जहां देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं में नैतिक गुणों के साथ-साथ शिक्षा का समावेश किया जाता है। इस अवसर पर प्राचार्या सुनीता कांसल, निदेशक विनोद कुमार, डॉ.निशा कांसल, ज्योति बजाज, संदीप कुमार, राजेन्द्र कुमार, निर्मला, नवीन कुमार, रामनिवास, रामलाल मौजूद थे।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
वे बृहस्पतिवार को एमडीएन शिक्षण संस्थान का निरीक्षण कर रहे थे। उन्होंने कक्षाओं के साथ ही कंप्यूटर लैब, पुस्तकालय व दूसरी इकाईयों का सघन निरीक्षण किया।
इस दौरान कुलपति की अनुशंसा पर योग कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें डॉ. रणजीत ने विद्यार्थियों, शिक्षकों व गैर शिक्षण स्टाफ सदस्यों को योगासन के महत्व को बताया। एडवोकेट राजेन्द्र कुमार ने कहा कि सेना, शिक्षा और समाज सेवा में विलक्षण कार्य कर दिखाने वाले सेवानिवृत्त मेजर जनरल डॉ.रणजीत ¨सह का कुशल मार्ग दर्शन उन्हें मिलता आया है। वे बहु-आयामी व्यक्तित्व के धनी हैं।
अधीनस्थ शिक्षण संस्थानों के साथ अन्य संस्थानों में वे जागरूकता की अलख जगा रहे हैँ। संस्थान के प्राचार्य डॉ.विजय कांसल ने कहा कि अनुभव निसंदेह कुशल राह दिखाने में अहम होते है। जरूरत एक-दूसरे से सिखने और सिखाने की है। शिक्षण कार्य वह क्षेत्र है जहां देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं में नैतिक गुणों के साथ-साथ शिक्षा का समावेश किया जाता है। इस अवसर पर प्राचार्या सुनीता कांसल, निदेशक विनोद कुमार, डॉ.निशा कांसल, ज्योति बजाज, संदीप कुमार, राजेन्द्र कुमार, निर्मला, नवीन कुमार, रामनिवास, रामलाल मौजूद थे।
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