भास्करन्यूज | चंडीगढ़ स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारी मौलिक शिक्षा
अधिकारियों से ऐसे स्कूलों की लिस्ट मांगी है, जिन्होंने शिक्षा नियमावली
के नियम 134ए के तहत पात्र बच्चों को दाखिला नहीं दिया है। निदेशालय ने
अवमानना के एक मामले में इस संबंध में हाईकोर्ट में जवाब दायर किया है।
स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रधान बृजपाल परमार ने बताया कि निजी स्कूल संचालक अपनी मनमर्जी चला रहे हैं और पात्र बच्चों को दाखिला नहीं दे रहे हैं। ऐसे स्कूलों शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
सोनीपत निवासी छात्रा कशिश की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि उसने 134ए के तहत दाखिला लेने के लिए दाखिला प्रवेश परीक्षा भी पास की। मेधावी छात्रों की लिस्ट में नाम आया, बावजूद इसके उसे दाखिला नहीं मिला। निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का दाखिला देने, मनमानी करने और अधिकारियों द्वारा बच्चों की सुनवाई करने के कारण शिक्षा विभाग के 10 अधिकारियों, 3 प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन और 14 स्कूलों के प्रिंसिपलों को हाईकोर्ट की अवमानना करने का नोटिस जारी किया गया था।
शिक्षा निदेशालय के निदेशक पीसी मीणा ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर किया। जिसमें कहा कि निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे निजी स्कूलों की लिस्ट तैयार करने को कहा गया, जिन्होंने मई और जुलाई में हुई प्रवेश परीक्षा में पाश छात्रों को दाखिला नहीं दिया है।
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सोनीपत निवासी छात्रा कशिश की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि उसने 134ए के तहत दाखिला लेने के लिए दाखिला प्रवेश परीक्षा भी पास की। मेधावी छात्रों की लिस्ट में नाम आया, बावजूद इसके उसे दाखिला नहीं मिला। निजी स्कूलों में गरीब बच्चों का दाखिला देने, मनमानी करने और अधिकारियों द्वारा बच्चों की सुनवाई करने के कारण शिक्षा विभाग के 10 अधिकारियों, 3 प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन और 14 स्कूलों के प्रिंसिपलों को हाईकोर्ट की अवमानना करने का नोटिस जारी किया गया था।
शिक्षा निदेशालय के निदेशक पीसी मीणा ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दायर किया। जिसमें कहा कि निदेशालय ने सभी जिला शिक्षा अधिकारियों मौलिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे निजी स्कूलों की लिस्ट तैयार करने को कहा गया, जिन्होंने मई और जुलाई में हुई प्रवेश परीक्षा में पाश छात्रों को दाखिला नहीं दिया है।
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