जागरण संवाददाता, अंबाला शहर: 72 विद्यार्थी वाले स्कूलों में सात
जेबीटी शिक्षक पढ़ा रहे हैं और 225 विद्यार्थी की संख्या वाले स्कूलों में
चार जेबीटी शिक्षकों से काम चलाया जा रहा है। यह किसी प्राइवेट स्कूल के
नियम नहीं बल्कि प्रदेश सरकार के राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं के हाल हैं।
अंबाला छावनी, नारायगढ़ और खंड साहा में आने वाले तीन स्कूल इस बात की पुष्टि करने के लिए काफी हैं। इनमें से दो स्कूलों में बच्चों की संख्या 200 से अधिक है वहीं एक स्कूल ऐसा है जहां पर मात्र 72 विद्यार्थी हैं लेकिन इस 72 विद्यार्थी वाले स्कूल में 200 बच्चों वाले स्कूलों से अधिक शिक्षक हैं। यह सब हुआ है रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया के बाद। सुनने में थोड़ा अजीब लगे लेकिन यह एकदम सच है। गलत तरीके से सरप्लस दिखाए गए इन शिक्षकों को पिछले करीब एक माह से वेतन नहीं मिला। अलबत्ता यह शिक्षक अर्श से फर्श पर आ गए थे। सरकार का तर्क है कि इनके स्थान पर नये शिक्षकों को ट्रांसफर के बाद भेज दिया गया था।
दरअसल छावनी के बकरा मार्केट स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में इस समय 225 विद्यार्थी हैं। नियमानुसार स्कूल में एक हेड टीचर और सात अन्य सीटें बनती हैं। लेकिन सरकार ने 30 सितंबर 2015 की सूची के आधार पर रिकार्ड के आधार पर उन्हें सरप्लस दिखा दिया गया। इसीलिए स्कूल में इस समय एक हेड टीचर और दो जेबीटी टीचर हैं। इसी तरह डेरा नारायणगढ़ की स्थिति हैं। यहां इस समय 207 विद्यार्थी हैं। यहां भी एक हेड टीचर और सात अन्य जेबीटी टीचर की जरूरत है। पर यहां भी एक हेड टीचर के साथ दो अन्य अध्यापकों से काम चलाया जा रहा है। शनिवार को इन सभी शिक्षकों ने डीईईओ कार्यालय पहुंचकर ज्वाइंट डायरेक्टर दिलबाग ¨सह के समक्ष प्रमाण पेश करते हुए यह बात बताई लेकिन उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि यह डायरेक्टर लेवल का मामला है और वहीं पर इसकी सुनवाई की जाएगी।
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तेपलां में 72 बच्चों पर सात अध्यापक
तेपलां की बात करें तो यहां पर इस समय मात्र 72 विद्यार्थी हैं। लेकिन इन 72 विद्यार्थियों पर एक हेड टीचर और छह जेबीटी टीचर नियुक्त किए गए हैं। ऐसे में यहां चार शिक्षक सरप्लस बनते हैं लेकिन किसी भी भी सरप्लस नहीं दिखाया गया है। बहरहाल सरकार की रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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दरअसल छावनी के बकरा मार्केट स्थित राजकीय प्राथमिक पाठशाला में इस समय 225 विद्यार्थी हैं। नियमानुसार स्कूल में एक हेड टीचर और सात अन्य सीटें बनती हैं। लेकिन सरकार ने 30 सितंबर 2015 की सूची के आधार पर रिकार्ड के आधार पर उन्हें सरप्लस दिखा दिया गया। इसीलिए स्कूल में इस समय एक हेड टीचर और दो जेबीटी टीचर हैं। इसी तरह डेरा नारायणगढ़ की स्थिति हैं। यहां इस समय 207 विद्यार्थी हैं। यहां भी एक हेड टीचर और सात अन्य जेबीटी टीचर की जरूरत है। पर यहां भी एक हेड टीचर के साथ दो अन्य अध्यापकों से काम चलाया जा रहा है। शनिवार को इन सभी शिक्षकों ने डीईईओ कार्यालय पहुंचकर ज्वाइंट डायरेक्टर दिलबाग ¨सह के समक्ष प्रमाण पेश करते हुए यह बात बताई लेकिन उन्होंने यह कहकर बात टाल दी कि यह डायरेक्टर लेवल का मामला है और वहीं पर इसकी सुनवाई की जाएगी।
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तेपलां में 72 बच्चों पर सात अध्यापक
तेपलां की बात करें तो यहां पर इस समय मात्र 72 विद्यार्थी हैं। लेकिन इन 72 विद्यार्थियों पर एक हेड टीचर और छह जेबीटी टीचर नियुक्त किए गए हैं। ऐसे में यहां चार शिक्षक सरप्लस बनते हैं लेकिन किसी भी भी सरप्लस नहीं दिखाया गया है। बहरहाल सरकार की रेशनेलाइजेशन की प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए हैं।
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