जागरण संवाददाता, जींद : बैंकों में नोटबंदी ने सरकारी कर्मचारियों की
परेशानी बढ़ा दी है। दिसंबर माह के 11 दिन बीत जाने के बावजूद कई विभागों
में कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल पाया है। इससे कर्मचारियों के लिए घर का
खर्च चलाना मुश्किल हो रहा है।
कुछ विभागों में कर्मचारियों को मात्र चार-पांच हजार रुपये ही दिए गए हैं। इससे घरों में रसोई का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है। कई कर्मचारियों ने बताया कि वे उधारी से काम चला रहे हैं। उन्हें सरकार की गाइडलाइन के तहत 24 हजार रुपये भी नहीं मिल पाए हैं।
उधर, लगातार दूसरे दिन अवकाश के कारण बैंक बंद रहने से लोगों की परेशानियां और बढ़ रही हैं। रविवार को शहर के किसी भी एटीएम में कैश नहीं था। शहर में अर्बन एस्टेट में स्थित एसबीआई की एकमात्र बैंक शाखा खुली हुई थी, जो प्रत्येक रविवार को खुलती है। इस बैंक शाखा में भी कैश नहीं होने की वजह से केवल पुरानी करंसी को जमा किया गया। कैश लेने आए उपभोक्ताओं को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। सोमवार को भी बैंक बंद रहेंगे और अब कैश निकालने के लिए मंगलवार तक इंतजार करना पड़ेगा।
दिसंबर माह के 11 दिन बीत जाने के बावजूद काफी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, इससे कर्मचारियों में सरकार के प्रति रोष है। शिक्षा विभाग, डाक विभाग, पुलिस समेत अन्य कई विभागों के कर्मचारी अब भी वेतन के लिए इंतजार कर रहे हैं। बैंकों में कैश की कमी होने के कारण कर्मचारी घंटों लाइनों में लगने के बावजूद महज दो से चार हजार रुपये ही निकाल पा रहे हैं।
हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के जिला प्रधान राजबीर रेढू ने बताया कि पिल्लूखेड़ा खंड में आने वाले अधिकतर स्कूलों का नॉन प्लान स्कीम के तहत मासिक वेतन को बैंक प्रबंधक (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया) के अड़ियल व्यवहार व गैर जिम्मेदारी के कारण कर्मचारियों के खातों में नहीं डाला है, जिस कारण कर्मचारियों को कैशलेस भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं जबकि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को कैशलेस भुगतान की अपील कर रहे हैं। ऐसे में कैसे होगा कैशलेस भुगतान, जब कर्मचारी के खाते में बैंक कर्मियों द्वारा उनका मासिक वेतन ही नहीं डाल रहे। जिला हसला प्रधान राजबीर रेढू ने बताया कि पिल्लूखेड़ा खंड के अनेक स्कूलों का मासिक वेतन 4 दिसंबर को खजाना अधिकारी द्वारा मासिक वेतन के बिलों को पास कर ईपीएस बैंक में 4 दिसंबर को ही जमा करवा दी गई थी। बैंक प्रबंधक की हठधर्मिता के कारण आज तक कर्मचारियों का वेतन उनके खातों में नहीं डाला गया। यदि बैंक प्रबंधक की कार्यप्रणाली इसी प्रकार रही तो संगठन मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाएगा।
नोटबंदी का फैसला तुगलकी फरमान
जुलाना : प्रधानमंत्री द्वारा नोटबंदी करने का फैसला तुगलकी फरमान है जिससे देश का जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। यह बात प्रदेश के पूर्व डीजीपी महेंद्र ¨सह मलिक ने जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि आज किसान, मजदूर, दुकानदार, किसान हर वर्ग के लोग नोटबंदी के फैसले से परेशान व तंग है। नोटबंदी के फैसले के बाद शादी वाले घरों से अर्थिक रूप से काफी तंगी है। मजदूर व दुकानदार आज ग्राहकों के इंतजार में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सरकार का देश जनता की परेशानी पर कोई ध्यान नही है। सरकार को किसान की दयनीय हालत को देखते हुए कर्ज मुक्त किया जाना चाहिए। नोटबंदी के बाद पूरे प्रदेश की जनता काम धंधों को छोड़कर बैंकों के आगे लंबी कतारों में लगे हुए हैं। इस मौके पर प्रेस प्रवक्ता आनंद लाठर, रणधीर ¨सह श्योराण मौजूद रहे।
कुछ विभागों में कर्मचारियों को मात्र चार-पांच हजार रुपये ही दिए गए हैं। इससे घरों में रसोई का खर्च भी पूरा नहीं हो रहा है। कई कर्मचारियों ने बताया कि वे उधारी से काम चला रहे हैं। उन्हें सरकार की गाइडलाइन के तहत 24 हजार रुपये भी नहीं मिल पाए हैं।
उधर, लगातार दूसरे दिन अवकाश के कारण बैंक बंद रहने से लोगों की परेशानियां और बढ़ रही हैं। रविवार को शहर के किसी भी एटीएम में कैश नहीं था। शहर में अर्बन एस्टेट में स्थित एसबीआई की एकमात्र बैंक शाखा खुली हुई थी, जो प्रत्येक रविवार को खुलती है। इस बैंक शाखा में भी कैश नहीं होने की वजह से केवल पुरानी करंसी को जमा किया गया। कैश लेने आए उपभोक्ताओं को खाली हाथ वापस लौटना पड़ा। सोमवार को भी बैंक बंद रहेंगे और अब कैश निकालने के लिए मंगलवार तक इंतजार करना पड़ेगा।
दिसंबर माह के 11 दिन बीत जाने के बावजूद काफी कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है, इससे कर्मचारियों में सरकार के प्रति रोष है। शिक्षा विभाग, डाक विभाग, पुलिस समेत अन्य कई विभागों के कर्मचारी अब भी वेतन के लिए इंतजार कर रहे हैं। बैंकों में कैश की कमी होने के कारण कर्मचारी घंटों लाइनों में लगने के बावजूद महज दो से चार हजार रुपये ही निकाल पा रहे हैं।
हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन (हसला) के जिला प्रधान राजबीर रेढू ने बताया कि पिल्लूखेड़ा खंड में आने वाले अधिकतर स्कूलों का नॉन प्लान स्कीम के तहत मासिक वेतन को बैंक प्रबंधक (सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया) के अड़ियल व्यवहार व गैर जिम्मेदारी के कारण कर्मचारियों के खातों में नहीं डाला है, जिस कारण कर्मचारियों को कैशलेस भुगतान में दिक्कतें आ रही हैं जबकि प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री प्रदेश की जनता को कैशलेस भुगतान की अपील कर रहे हैं। ऐसे में कैसे होगा कैशलेस भुगतान, जब कर्मचारी के खाते में बैंक कर्मियों द्वारा उनका मासिक वेतन ही नहीं डाल रहे। जिला हसला प्रधान राजबीर रेढू ने बताया कि पिल्लूखेड़ा खंड के अनेक स्कूलों का मासिक वेतन 4 दिसंबर को खजाना अधिकारी द्वारा मासिक वेतन के बिलों को पास कर ईपीएस बैंक में 4 दिसंबर को ही जमा करवा दी गई थी। बैंक प्रबंधक की हठधर्मिता के कारण आज तक कर्मचारियों का वेतन उनके खातों में नहीं डाला गया। यदि बैंक प्रबंधक की कार्यप्रणाली इसी प्रकार रही तो संगठन मामला उच्च अधिकारियों के संज्ञान में लाएगा।
नोटबंदी का फैसला तुगलकी फरमान
जुलाना : प्रधानमंत्री द्वारा नोटबंदी करने का फैसला तुगलकी फरमान है जिससे देश का जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है। यह बात प्रदेश के पूर्व डीजीपी महेंद्र ¨सह मलिक ने जारी विज्ञप्ति में कही। उन्होंने कहा कि आज किसान, मजदूर, दुकानदार, किसान हर वर्ग के लोग नोटबंदी के फैसले से परेशान व तंग है। नोटबंदी के फैसले के बाद शादी वाले घरों से अर्थिक रूप से काफी तंगी है। मजदूर व दुकानदार आज ग्राहकों के इंतजार में हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। सरकार का देश जनता की परेशानी पर कोई ध्यान नही है। सरकार को किसान की दयनीय हालत को देखते हुए कर्ज मुक्त किया जाना चाहिए। नोटबंदी के बाद पूरे प्रदेश की जनता काम धंधों को छोड़कर बैंकों के आगे लंबी कतारों में लगे हुए हैं। इस मौके पर प्रेस प्रवक्ता आनंद लाठर, रणधीर ¨सह श्योराण मौजूद रहे।