चंडीगढ़): हरियाणा के शिक्षा विभाग में
कार्यरत गेस्ट टीचर्स को विभाग द्वारा नियमित शिक्षकों से ज्यादा अहमियत
देना फिर से विभाग के लिए फजीहत का विषय बन गया।
शिक्षकों की तबादला नीति
में गेस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त न मानने के विभाग के रूख को पंजाब और
हरियाणा हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने भी नामंजूर कर दिया। दरअसल हाईकोर्ट की
जस्टिस जी. एस. संधेवालिया की एकल पीठ ने ने 10 नवंबर 2017 को आनन्द कुमार
बनाम हरियाणा सरकार मामले सहित 30 अन्य याचिकाओं का सामूहिक फैसला सुनाते
हुए यह निर्णय दिया था कि शिक्षा विभाग ऑनलाइन तबादले करते समय गेस्ट
टीचर्स के सभी पदों को रिक्त मान कर नियमित टीचर्स के तबादले करे।
वर्ष 2016 में सैंकड़ों नियमित जेबीटी
शिक्षकों ने अधिवक्ता जगबीर मलिक के माध्यम से याचिकाएं दायर करके
स्थानान्तरण नीति-2015 में गेस्ट टीचर्स के पदों को रिक्त न मानने के
विभागीय फैसले को हाईकोर्ट में चुनोती दी थी। जिस पर हाईकोर्ट की एकल बेंच
ने फैसला याचिकाकर्ता नियमित शिक्षक के हक में सुनाया था और 3 महीने में
फैसले का पालन सुनिश्चित करने का आदेश दिया था। विभाग ने हाईकोर्ट की एकल
बेंच के इस 10 नवम्बर 2017 को दिए गये फैसले के खिलाफ खण्डपीठ में अपील
दाखिल की थी और एकल बेंच के फैसले पर रोक लगाने व रदद् करने की मांग की थी।
गुरूवार को विभाग द्वारा खण्डपीठ में दायर
अपील की सुनवाई में प्रतिवादी आनंद कुमार की ओर से पेश अधिवक्ता जगबीर
मलिक ने सरकार की अपील का कड़ा विरोध किया और बहस करते हुए अपील को खारिज
करने योग्य बताया। बहस सुनने के बाद हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश एंव
जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने सरकार और विभाग की अपील को विचारयोग्य न
मानते हुए खारिज कर दिया। इस मामले में विभाग की अपील खारिज होने से अब
हजारों नियमित शिक्षकों को तबादलों में अपने मनपसन्द जिलों व स्कूलों में
तबादला करवाने का अवसर मिलेगा। हालाँकि हाईकोर्ट के निरन्तर कड़े रुख के
चलते सरकार द्वारा अंतर-जिला स्थानांतरण के बनाई गई नई कैडर चेंज
पॉलिसी-2018 में गेस्ट टीचर्स के पदों को पहले से ही रिक्त मानने का
प्रावधान कर दिया गया है और 5 सितम्बर को इस नई पॉलिसी को केबिनेट मीटिंग
में हरी झंडी दिखा दी गई है।