जेएनएन, चंडीगढ़। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 1983 पीटीआइ टीचर को
हटाने के हरियाणा सरकार के फैसले को टीचरों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी
है। शुक्रवार को पीटीआइ शिक्षकों की याचिका पर सुनवाई के दौरान हरियाणा
सरकार ने बताया कि उन्हेंं हटाने के आदेश के बावजूद वर्तमान में वे कार्यरत
हैं। हरियाणा सरकार के जवाब के बाद हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई तक शिक्षकों
की सेवाओं पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश देते हुए लिखित जवाब दाखिल करने
के आदेश दिए हैं।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि पीटीआइ शिक्षकों की नियुक्ति में एचएसएससी के काम करना आरंभ होने के बाद 5 माह का समय लगेगा। इस पर जस्टिस महावीर सिंह संधू ने याचिका पर सुनवाई मंगलवार तक स्थगित कर दी।
याचिका में पीटीआइ टीचर की तरफ से हरियाणा सरकार के 28 व 29 मई के उस आदेश पर रोक की मांग की गई है जिसके तहत तीन दिन के भीतर सभी टीचरों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी किए गए। याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को उनकी विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए सरकार को पांच महीने के भीतर पीटीआइ की नई भर्ती करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उनको हटाने बारे कोई आदेश जारी नहीं किया था।
याची ने कोर्ट को बताया कि नई भर्ती में पांच माह का समय लगेगा तब तक स्कूलों में पीटीआइ टीचर का काम कौन करेगा। याची ने हाई कोर्ट से मांग कि जब तक नई भर्ती नहीं होती तब तक उनको हटाया न जाए। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि पीटीआइ शिक्षकों की नियुक्ति में एचएसएससी के काम करना आरंभ होने के बाद 5 माह का समय लगेगा। इस पर जस्टिस महावीर सिंह संधू ने याचिका पर सुनवाई मंगलवार तक स्थगित कर दी।
याचिका में पीटीआइ टीचर की तरफ से हरियाणा सरकार के 28 व 29 मई के उस आदेश पर रोक की मांग की गई है जिसके तहत तीन दिन के भीतर सभी टीचरों की सेवा समाप्त करने के आदेश जारी किए गए। याचिका में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को उनकी विशेष अनुमति याचिका खारिज करते हुए सरकार को पांच महीने के भीतर पीटीआइ की नई भर्ती करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने उनको हटाने बारे कोई आदेश जारी नहीं किया था।
याची ने कोर्ट को बताया कि नई भर्ती में पांच माह का समय लगेगा तब तक स्कूलों में पीटीआइ टीचर का काम कौन करेगा। याची ने हाई कोर्ट से मांग कि जब तक नई भर्ती नहीं होती तब तक उनको हटाया न जाए। हाई कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।