छुट्टियों ने बाधित की दूसरे सेमेस्टर की पढ़ाई
सतनाली : प्रदेश में करीब 10 दिन तक चले जाट आंदोलन के कारण न केवल सामाजिक भाईचारे व व्यापारियों को नुकसान हुआ है, बल्कि प्रदेश की छवि भी खराब हुई है। आरक्षण आंदोलन के चलते स्कूलों में अवकाश घोषित करने से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हुई है तथा स्कूलों में समय से पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाएगा।
इससे पहले प्रथम समेस्टर की मार्किंग में ड्यूटी, दो बार शीतकालीन अवकाश तो बाद में पंचायत चुनावों के कारण शिक्षकों की लगी ड्यूटी से शिक्षण कार्य स्कूलों में नहीं हो पाया था। अनेक स्कूलों में दूसरे सेमेस्टर का पाठ्यक्रम तक पूरा नहीं हो पाया, जबकि शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षाओं की घोषणा की जा चुकी है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के स्कूलों में एक अक्टूबर से दूसरे समेस्टर की पढ़ाई शुरू की गई। सितंबर व अक्टूबर माह के दौरान बोर्ड परीक्षाएं होने के कारण शिक्षक परीक्षा ड्यूटी में व्यस्त रहे। इसके बाद बोर्ड परीक्षाओं की मार्किंग में उनकी ड्यूटियां लगा दी गई। इस काम में लगभग एक माह से अधिक समय बीत गया। दिसंबर माह में कुछ पढ़ाई का माहौल बना तो पंचायत चुनावों की घोषणा हो गई। रही सही कसर शीतकालीन अवकाश की घोषणा ने भी पूरी कर दी। ठंड को देखते हुए दो चरणों में अवकाश की घोषणा हुई। अवकाश के बाद ज्यों ही स्कूल खुले तो स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए शिक्षक नहीं मिले। पंचायत चुनाव में ड्यूटी के लिए शिक्षकों को जिम्मेवारी सौंपी गई। तीन चरणों में आयोजित किए गए पंचायत चुनावों में तीन बार रिहर्सल करवाई गई। इसके बाद चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक शिक्षकों की ड्यूटी जारी रही। जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में ठंड को देखते हुए एक बार फिर से शीतकालीन अवकाश हो गए और जनवरी का महीना भी बिना पढ़ाई के ही बीत गया। फरवरी माह में स्कूलों में पाठ्यक्रम पूरा करवाने के लिए शिक्षक भी बेचैन नजर आए तथा शिक्षण कार्य शुरू करवाया गया। इसी बीच 12 फरवरी को जाट आरक्षण की आग ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। आंदोलन की आग बढ़ते देख स्कूलों में पहले 22 फरवरी तक बाद में बढ़ाकर 25 फरवरी तक अवकाश घोषित कर दिए गए। अब स्कूलों में शिक्षण कार्य शुरू होगा, लेकिन 8 मार्च से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षाओं से पहले शनिवार व रविवार के अलावा दर्जन भर सरकारी अवकाश भी आने वाले हैं। ऐसे में परीक्षाओं से पूर्व शिक्षक पाठ्यक्रम को किस प्रकार पूरा करवा पाएंगे यह बड़ा सवाल है। लेकिन इतना अवश्य है कि इसका खामियाजा तो विद्यार्थियों को ही भुगतना पड़ेगा। देखने वाली बात यह होगी कि विभाग व सरकार इन परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाओं के कार्यक्रम को आगे बढ़ाती है या फिर तय कार्यक्रम अनुसार ही परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएगी। यदि तय कार्यक्रम अनुसार परीक्षाएं होती है तो इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि स्कूलों का रिजल्ट अबकी बार भी खराब आने की संभावना बन गई है।
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सतनाली : प्रदेश में करीब 10 दिन तक चले जाट आंदोलन के कारण न केवल सामाजिक भाईचारे व व्यापारियों को नुकसान हुआ है, बल्कि प्रदेश की छवि भी खराब हुई है। आरक्षण आंदोलन के चलते स्कूलों में अवकाश घोषित करने से विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित हुई है तथा स्कूलों में समय से पाठ्यक्रम भी पूरा नहीं हो पाएगा।
इससे पहले प्रथम समेस्टर की मार्किंग में ड्यूटी, दो बार शीतकालीन अवकाश तो बाद में पंचायत चुनावों के कारण शिक्षकों की लगी ड्यूटी से शिक्षण कार्य स्कूलों में नहीं हो पाया था। अनेक स्कूलों में दूसरे सेमेस्टर का पाठ्यक्रम तक पूरा नहीं हो पाया, जबकि शिक्षा बोर्ड द्वारा परीक्षाओं की घोषणा की जा चुकी है।
उल्लेखनीय है कि प्रदेश के स्कूलों में एक अक्टूबर से दूसरे समेस्टर की पढ़ाई शुरू की गई। सितंबर व अक्टूबर माह के दौरान बोर्ड परीक्षाएं होने के कारण शिक्षक परीक्षा ड्यूटी में व्यस्त रहे। इसके बाद बोर्ड परीक्षाओं की मार्किंग में उनकी ड्यूटियां लगा दी गई। इस काम में लगभग एक माह से अधिक समय बीत गया। दिसंबर माह में कुछ पढ़ाई का माहौल बना तो पंचायत चुनावों की घोषणा हो गई। रही सही कसर शीतकालीन अवकाश की घोषणा ने भी पूरी कर दी। ठंड को देखते हुए दो चरणों में अवकाश की घोषणा हुई। अवकाश के बाद ज्यों ही स्कूल खुले तो स्कूलों में शिक्षण कार्य के लिए शिक्षक नहीं मिले। पंचायत चुनाव में ड्यूटी के लिए शिक्षकों को जिम्मेवारी सौंपी गई। तीन चरणों में आयोजित किए गए पंचायत चुनावों में तीन बार रिहर्सल करवाई गई। इसके बाद चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक शिक्षकों की ड्यूटी जारी रही। जनवरी माह के अंतिम सप्ताह में ठंड को देखते हुए एक बार फिर से शीतकालीन अवकाश हो गए और जनवरी का महीना भी बिना पढ़ाई के ही बीत गया। फरवरी माह में स्कूलों में पाठ्यक्रम पूरा करवाने के लिए शिक्षक भी बेचैन नजर आए तथा शिक्षण कार्य शुरू करवाया गया। इसी बीच 12 फरवरी को जाट आरक्षण की आग ने प्रदेश को झकझोर कर रख दिया। आंदोलन की आग बढ़ते देख स्कूलों में पहले 22 फरवरी तक बाद में बढ़ाकर 25 फरवरी तक अवकाश घोषित कर दिए गए। अब स्कूलों में शिक्षण कार्य शुरू होगा, लेकिन 8 मार्च से शुरू होने वाली बोर्ड परीक्षाओं से पहले शनिवार व रविवार के अलावा दर्जन भर सरकारी अवकाश भी आने वाले हैं। ऐसे में परीक्षाओं से पूर्व शिक्षक पाठ्यक्रम को किस प्रकार पूरा करवा पाएंगे यह बड़ा सवाल है। लेकिन इतना अवश्य है कि इसका खामियाजा तो विद्यार्थियों को ही भुगतना पड़ेगा। देखने वाली बात यह होगी कि विभाग व सरकार इन परिस्थितियों को देखते हुए परीक्षाओं के कार्यक्रम को आगे बढ़ाती है या फिर तय कार्यक्रम अनुसार ही परीक्षाएं आयोजित करवाई जाएगी। यदि तय कार्यक्रम अनुसार परीक्षाएं होती है तो इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि स्कूलों का रिजल्ट अबकी बार भी खराब आने की संभावना बन गई है।