शिक्षकों की मनमानी पर रोक लगाने की कवायद के चलते सरकार ने एसीआर नीति में किया बदलाव, शिक्षामंत्री ने लगाई मुहर। पंजाब में सरकारी टीचरों के लिए अब एसीआर में बढ़िया ग्रेड लेना आसान नहीं होगा, क्योंकि शिक्षा विभाग ने ऐसे टीचरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अब एसीआर (वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट) का सबसे अहम पैमाना विद्यार्थियों की सालाना परीक्षा के नतीजे होंगे।
शिक्षा विभाग ने एसीआर में दिए जाने वाले ग्रेड की नीति में बदलाव किया है। जिस पर शिक्षामंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने मुहर लगा दी है।
बच्चों के नतीजे और स्कूल की गतिविधियों के आधार पर हर साल टीचरों को एसीआर में उत्तम, बहुत अच्छा, अच्छा, औसत और औसत से कम जैसे ग्रेड दिए जाते हैं। अभी तक एसीआर रिजल्ट ओरिएंटेड नहीं होती थी। स्कूल की अन्य गतिविधियों के लिए भी काफी अंक दिए जाते थे। सिर्फ बीस प्रतिशत अंक रिजल्ट और बाकी 80 प्रतिशत अन्य गतिविधियों के आधार पर दिए जाते थे। इसके अलावा टीचरों पर प्रिंसिपल की कृपा के चलते भी वे मनचाहे ग्रेड हासिल कर लेते थे।
विभाग की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जीरो प्रतिशत नतीजे वाले टीचरों को भी अच्छे ग्रेड मिले हुए थे, जिसके बाद विभाग ने अब एसीआर को पूरी तरह रिजल्ट पर आधारित करने का फैसला किया है। अब स्कूल गतिविधियों पर सिर्फ बीस प्रतिशत अंक दिए जाएंगे। बाकी 80 प्रतिशत अंक सालाना नतीजे के होंगे। इसें से भी पचास प्रतिशत बोर्ड और तीस प्रतिशत घरेलू परीक्षाओं के नतीजे के होंगे। इतना ही नहीं, एसीआर लिखते समय विभाग पास प्रतिशत के साथ पास क्वालिटी भी देखेगा।
कितने बच्चों के 80 प्रतिशत, 60 प्रतिशत से ज्यादा अंक आए हैं, कितनों से पचास प्रतिशत से कम हैं। कई विषयों में अंकों के बजाय ग्रेड दिए जाते हैं, ग्रेड को मार्क्स में कन्वर्ट कर टीचर का प्रदर्शन देखा जाएगा। विभाग ने नई एसीआर नीति फाइनल कर ली है, छुट्टियां खत्म होते ही इस पर अमल शुरू कर दिया जाएगा। पिछले दिनों आए बोर्ड नतीजों पर यह नीति लागू होगी।
शिक्षा मंत्री की क्लास में खुली थी पोल
पिछले साल पीएसईबी की दसवीं की परीक्षा में अंग्रेजी का रिजल्ट बेहद खराब रहा। इसके बाद शिक्षामंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने खराब प्रदर्शन वाले अंग्रेजी केे टीचरों और उनके प्रिंसिपल की बैठक बुलाई। उसमें टीचर साधारण से वाक्य तक नहीं लिख सके। मौके पर ही उनकी एसीआर देखी गई तो बेहद खराब, जीरो प्रतिशत रिजल्ट वाले टीचरों को भी अच्छे ग्रेड मिले हुए थे। इसके बाद डॉ. चीमा ने खराब रिजल्ट वाले सारे टीचरों की एसीआर की जांच करवाई।
बलबीर सिंह ढोल, डीपीआई सेकेंडरी, पंजाब ने बताया कि पहले एसीआर ज्यादा रिजल्ट ओरिएंटेड नहीं होती थी, अन्य गतिविधियों को तरजीह दी जाती थी। इसी वजह से खराब रिजल्ट वाले टीचरों को भी अच्छे ग्रेड मिल जाते थे। अब एसीआर का 80 प्रतिशत हिस्सा रिजल्ट पर आधारित होगा। पास प्रतिशत के साथ यह भी देखा जाएगा कि कितने बच्चे अच्छे अंकों से पास हुए।
Sponsored link :
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
शिक्षा विभाग ने एसीआर में दिए जाने वाले ग्रेड की नीति में बदलाव किया है। जिस पर शिक्षामंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने मुहर लगा दी है।
बच्चों के नतीजे और स्कूल की गतिविधियों के आधार पर हर साल टीचरों को एसीआर में उत्तम, बहुत अच्छा, अच्छा, औसत और औसत से कम जैसे ग्रेड दिए जाते हैं। अभी तक एसीआर रिजल्ट ओरिएंटेड नहीं होती थी। स्कूल की अन्य गतिविधियों के लिए भी काफी अंक दिए जाते थे। सिर्फ बीस प्रतिशत अंक रिजल्ट और बाकी 80 प्रतिशत अन्य गतिविधियों के आधार पर दिए जाते थे। इसके अलावा टीचरों पर प्रिंसिपल की कृपा के चलते भी वे मनचाहे ग्रेड हासिल कर लेते थे।
विभाग की पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जीरो प्रतिशत नतीजे वाले टीचरों को भी अच्छे ग्रेड मिले हुए थे, जिसके बाद विभाग ने अब एसीआर को पूरी तरह रिजल्ट पर आधारित करने का फैसला किया है। अब स्कूल गतिविधियों पर सिर्फ बीस प्रतिशत अंक दिए जाएंगे। बाकी 80 प्रतिशत अंक सालाना नतीजे के होंगे। इसें से भी पचास प्रतिशत बोर्ड और तीस प्रतिशत घरेलू परीक्षाओं के नतीजे के होंगे। इतना ही नहीं, एसीआर लिखते समय विभाग पास प्रतिशत के साथ पास क्वालिटी भी देखेगा।
कितने बच्चों के 80 प्रतिशत, 60 प्रतिशत से ज्यादा अंक आए हैं, कितनों से पचास प्रतिशत से कम हैं। कई विषयों में अंकों के बजाय ग्रेड दिए जाते हैं, ग्रेड को मार्क्स में कन्वर्ट कर टीचर का प्रदर्शन देखा जाएगा। विभाग ने नई एसीआर नीति फाइनल कर ली है, छुट्टियां खत्म होते ही इस पर अमल शुरू कर दिया जाएगा। पिछले दिनों आए बोर्ड नतीजों पर यह नीति लागू होगी।
शिक्षा मंत्री की क्लास में खुली थी पोल
पिछले साल पीएसईबी की दसवीं की परीक्षा में अंग्रेजी का रिजल्ट बेहद खराब रहा। इसके बाद शिक्षामंत्री डॉ. दलजीत चीमा ने खराब प्रदर्शन वाले अंग्रेजी केे टीचरों और उनके प्रिंसिपल की बैठक बुलाई। उसमें टीचर साधारण से वाक्य तक नहीं लिख सके। मौके पर ही उनकी एसीआर देखी गई तो बेहद खराब, जीरो प्रतिशत रिजल्ट वाले टीचरों को भी अच्छे ग्रेड मिले हुए थे। इसके बाद डॉ. चीमा ने खराब रिजल्ट वाले सारे टीचरों की एसीआर की जांच करवाई।
बलबीर सिंह ढोल, डीपीआई सेकेंडरी, पंजाब ने बताया कि पहले एसीआर ज्यादा रिजल्ट ओरिएंटेड नहीं होती थी, अन्य गतिविधियों को तरजीह दी जाती थी। इसी वजह से खराब रिजल्ट वाले टीचरों को भी अच्छे ग्रेड मिल जाते थे। अब एसीआर का 80 प्रतिशत हिस्सा रिजल्ट पर आधारित होगा। पास प्रतिशत के साथ यह भी देखा जाएगा कि कितने बच्चे अच्छे अंकों से पास हुए।