रवि हसिजा, जींद लगता है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी व कर्मचारी ज्योतिष बन गए हैं।
विभाग अधिकारी व कर्मचारी सीएम ¨वडो के माध्यम से आ रही शिकायतों के
पहुंचने के 14-14 दिन पहले ही उनका समाधान करने में लगे हुए हैं।
यही नहीं शिकायतकर्ता को सीएम ¨वडो तक पहुंचने का मौका भी नहीं दिया जा रहा और कर्मचारी अंर्तध्यान होकर शिकायतकर्ता की शिकायत जानकर पहले ही सीएम विंडो में जांच रिपोर्ट देकर मामले को डिस्पोज आफ करा रहे हैं।
यह अनोखा मामला जींद के हाउ¨सग बोर्ड निवासी शिक्षक सुरेश कुमार के साथ घटित हुआ है। सुरेश ने राजकीय उच्च विद्यालय अमरहेड़ी की तत्कालीन मुख्याध्यापिका के खिलाफ गत 13 जून 2016 को सीएम ¨वडो में शिकायत दी थी। बकायदा सीएम ¨वडो से उन्हें रिसिप्ट भी दी गई। सीएम कार्यालय की ओर से यह शिकायत शिक्षा निदेशालय होते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के पास 23 जून को पहुंची, लेकिन शिक्षा विभाग ने गत 31 अगस्त 2016 को सीएम ¨वडो में अपनी रिपोर्ट जमा कराई। जांच रिपोर्ट में डीईओ के 13 जून के हस्ताक्षर किए गए है और इस मामले की जांच उप जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से दिखाई गई है, जो उसने 10 जून को जांच रिपोर्ट डीईओ कार्यालय को जमा कराई।
रिपोर्ट में उप जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया है कि दोनों पार्टियों को 9 जून को जांच के लिए बुलाया गया था और उसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। अब यहां सवाल यह उठता है कि जब शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत ही सीएम ¨वडो में 13 जून को डाली थी तो वह डिप्टी डीईओ ने अपनी जांच 9 जून को कैसे कर 10 जून को कैसे डीईओ कार्यालय में जमा करवा दी। हद तो यहां तक हो गई कि डीईओ ने भी 13 जून को अपने हस्ताक्षर कर रिपोर्ट फाइल की हुई है जबकि डीईओ कार्यालय में ही यह शिकायत 23 जून को पहुंची थी।
पहले भी लगाए थे गलत कागजात
सुरेश कुमार ने इस मामले में 13 जून को सीएम ¨वडो में अमरहेड़ी स्कूल की सेवानिवृत्त मुख्याध्यापिका मंजू दहिया के खिलाफ शिकायत दी थी, जिस पर 1 जुलाई 2016 को डीईओ कार्यालय ने गलत कागजात देकर सीएम ¨वडो में मामले को डिस्पोज ऑफ करवा दिया था। इस पर सुरेश कुमार ने 18 जुलाई 2016 को सीएम ¨वडो को बंद करने के लिए शिकायत नंबर 2016/049831 दी थी। इस शिकायत के बाद 26 जुलाई 2016 को मुख्यमंत्री कार्यालय ने उचित चैनल से शिकायत नंबर 2016/037931 के बारे में निदेशक सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय को शिकायत के अनुसार कार्रवाई करने के लिए लिखा था। निदेशक सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय ने 29 जुलाई 2016 को जिला शिक्षा अधिकारी जींद को शिकायत के अनुसार कार्यवाही करने के लिए लिखा था, लेकिन फिर से डीईओ कार्यालय ने 31 अगस्त को झूठे कागजात लगाकर शिकायत को फिर से डिस्पोज आफ कर दिया, जिसमें उसने जांच ही 9 जून को दिखाई है। इस मामले में अब सुरेश कुमार ने दोबारा 5 सितंबर को सीएम ¨वडो में 13 जून वाली शिकायत के संदर्भ में शिकायत दी है, जिसे दोबारा डीईओ कार्यालय को जांच के लिए भेज दिया है।
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यही नहीं शिकायतकर्ता को सीएम ¨वडो तक पहुंचने का मौका भी नहीं दिया जा रहा और कर्मचारी अंर्तध्यान होकर शिकायतकर्ता की शिकायत जानकर पहले ही सीएम विंडो में जांच रिपोर्ट देकर मामले को डिस्पोज आफ करा रहे हैं।
यह अनोखा मामला जींद के हाउ¨सग बोर्ड निवासी शिक्षक सुरेश कुमार के साथ घटित हुआ है। सुरेश ने राजकीय उच्च विद्यालय अमरहेड़ी की तत्कालीन मुख्याध्यापिका के खिलाफ गत 13 जून 2016 को सीएम ¨वडो में शिकायत दी थी। बकायदा सीएम ¨वडो से उन्हें रिसिप्ट भी दी गई। सीएम कार्यालय की ओर से यह शिकायत शिक्षा निदेशालय होते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के पास 23 जून को पहुंची, लेकिन शिक्षा विभाग ने गत 31 अगस्त 2016 को सीएम ¨वडो में अपनी रिपोर्ट जमा कराई। जांच रिपोर्ट में डीईओ के 13 जून के हस्ताक्षर किए गए है और इस मामले की जांच उप जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से दिखाई गई है, जो उसने 10 जून को जांच रिपोर्ट डीईओ कार्यालय को जमा कराई।
रिपोर्ट में उप जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा बताया गया है कि दोनों पार्टियों को 9 जून को जांच के लिए बुलाया गया था और उसकी रिपोर्ट भेजी जा रही है। अब यहां सवाल यह उठता है कि जब शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायत ही सीएम ¨वडो में 13 जून को डाली थी तो वह डिप्टी डीईओ ने अपनी जांच 9 जून को कैसे कर 10 जून को कैसे डीईओ कार्यालय में जमा करवा दी। हद तो यहां तक हो गई कि डीईओ ने भी 13 जून को अपने हस्ताक्षर कर रिपोर्ट फाइल की हुई है जबकि डीईओ कार्यालय में ही यह शिकायत 23 जून को पहुंची थी।
पहले भी लगाए थे गलत कागजात
सुरेश कुमार ने इस मामले में 13 जून को सीएम ¨वडो में अमरहेड़ी स्कूल की सेवानिवृत्त मुख्याध्यापिका मंजू दहिया के खिलाफ शिकायत दी थी, जिस पर 1 जुलाई 2016 को डीईओ कार्यालय ने गलत कागजात देकर सीएम ¨वडो में मामले को डिस्पोज ऑफ करवा दिया था। इस पर सुरेश कुमार ने 18 जुलाई 2016 को सीएम ¨वडो को बंद करने के लिए शिकायत नंबर 2016/049831 दी थी। इस शिकायत के बाद 26 जुलाई 2016 को मुख्यमंत्री कार्यालय ने उचित चैनल से शिकायत नंबर 2016/037931 के बारे में निदेशक सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय को शिकायत के अनुसार कार्रवाई करने के लिए लिखा था। निदेशक सेकेंडरी शिक्षा निदेशालय ने 29 जुलाई 2016 को जिला शिक्षा अधिकारी जींद को शिकायत के अनुसार कार्यवाही करने के लिए लिखा था, लेकिन फिर से डीईओ कार्यालय ने 31 अगस्त को झूठे कागजात लगाकर शिकायत को फिर से डिस्पोज आफ कर दिया, जिसमें उसने जांच ही 9 जून को दिखाई है। इस मामले में अब सुरेश कुमार ने दोबारा 5 सितंबर को सीएम ¨वडो में 13 जून वाली शिकायत के संदर्भ में शिकायत दी है, जिसे दोबारा डीईओ कार्यालय को जांच के लिए भेज दिया है।
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