जागरण संवाददाता, पानीपत : बाल श्रमिकों को क ख ग घ पढ़ाने वाले
शिक्षकों के घर में अब चूल्हा नहीं जलने की स्थिति आ गई है। श्रम मंत्रालय
भारत सरकार की एनसीएलपी योजना के तहत कार्यरत शिक्षकों को लगभग बीस माह से
वेतन नहीं मिला है। वेतन के लिए शिक्षकों को विभाग-विभाग चक्कर लगाने पड़
रहे हैं।
गौरतलब रहे कि भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय बाल श्रमिक परियोजना लागू है। इस परियोजना के तहत बाल श्रमिकों को शिक्षित किया जाता है। पानीपत जिले में कुल 62 सेंटर हैं। प्रत्येक केंद्र पर एक वोकेशनल टीचर व एक चपरासी की नियुक्ति है। टीचर को 4 हजार रुपये मासिक व चपरासी को 2 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलना था।
अध्यापक बबीता त्यागी, संतोष, सरिता, ज्योति, मीना आदि की मानें तो पिछले 20 माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। वेतन नहीं मिलने के कारण अध्यापकों का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। भरण-पोषण के लिए सगे संबंधियों से ली गई उधार रकम के कारण अधिकतर टीचर कर्जदार बन गए हैं। वेतन नहीं मिलने की पीड़ा शिक्षक संबंधित विभाग के अधिकारियों के समक्ष बयां कर चुके हैं।
आरोप है कि अधिकारी सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार व अधिकारियों की ओर से उपेक्षापूर्ण व्यवहार के लिए शिक्षक रेनू, राममेहर, मीना, सोनिका, स्वाति सिंह व सीमा आदि ने भी रोष प्रकट किया है।
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अध्यापक बबीता त्यागी, संतोष, सरिता, ज्योति, मीना आदि की मानें तो पिछले 20 माह से वेतन नहीं दिया जा रहा है। वेतन नहीं मिलने के कारण अध्यापकों का परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। भरण-पोषण के लिए सगे संबंधियों से ली गई उधार रकम के कारण अधिकतर टीचर कर्जदार बन गए हैं। वेतन नहीं मिलने की पीड़ा शिक्षक संबंधित विभाग के अधिकारियों के समक्ष बयां कर चुके हैं।
आरोप है कि अधिकारी सुनवाई के लिए तैयार नहीं हैं। सरकार व अधिकारियों की ओर से उपेक्षापूर्ण व्यवहार के लिए शिक्षक रेनू, राममेहर, मीना, सोनिका, स्वाति सिंह व सीमा आदि ने भी रोष प्रकट किया है।
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