जागरण संवाददाता, झज्जर : हरियाणा राजकीय हिंदी अध्यापक संघ ने सरकार और
विभाग से सीधा सवाल किया कि प्रदेश के तमाम मिडिल स्कूलों मे अगर वैकल्पिक
विषयों जैसे कला, शारीरिक शिक्षा, संस्कृत के पद हो सकते है तो फिर
राष्ट्रभाषा हिंदी के पद क्यों नहीं हो सकते।
उपरोक्त सवाल हिंदी अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कृष्ण कुमार निर्माण, महासचिव डॉक्टर लोकेश शर्मा और कोषधयक्ष प्रवीण तायल, जिला झज्जर प्रधान कृष्ण कुमार, सचिव संजय वर्मा ने उठाते हुए कहा कि पहली बात तो ये कि अगर संस्कृत वाले हिंदी शिक्षण करा सकते है तो क्या हिंदी वाले संस्कृत शिक्षण नहीं करवा सकते। हिंदी शिक्षक भी संस्कृत शिक्षण करवा सकते है। दूसरी तरफ कला और शारीरिक शिक्षक तो अपने विषय के अलावा कोई और दूसरे विषय का अध्यापन नहीं करवाते, फिर वर्कलोड का बहाना कहां छूमंतर हो जाता है। क्योंकि कक्षाएं तो वही तीन ही होती हैं। लेकिन जब हिंदी भाषा शिक्षक के पद की बात आती है तो सरकार और विभाग नाक व भौ सिकोड़ने लग जाते हैं, जो कि सीधे सीधे राष्ट्र भाषा हिंदी और हिंदुस्तान का अपमान है, जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता।
राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण ने इतना जरूर कहा कि उनकी माग किसी भी विषय के पद कम करवाना नहीं है और न ही किसी भी विषय के शिक्षक से उनका विरोध है, उनकी तो बस इतनी सी माग है कि हिंदी भाषा का स मान करते हुए और इस उदहारण को देखते हुए और शिक्षा के अधिकार कानून 2005 का स मान करते हुए हिंदी शिक्षक के पदों की भी बहाली की जाए, ताकि न केवल शिक्षा की गुणवत्ता कायम रह सके बल्कि हिंदी का मान सम्मान भी हो सके।
उन्होंने कहा कि इसी माग को लेकर 2 अक्टूबर 2016 को प्रदेश भर के शिक्षक करनाल मे जिला सचिवालय के सामने एक दिवसीय सत्याग्रह करेंगे। खास बात यह होगी कि इस सत्याग्रह में कर्मचारी आदोलन के इतिहास मे पहली बार महिला शिक्षिकाएं सत्याग्रह में भाग लेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार को उनकी बात माननी चाहिए क्योंकि उनकी माग मे किसी प्रकार की आर्थिक माग नहीं है। जिसकी घोषणा 1 नवंबर को होने वाले महा अनशन के दौरान की जायेगी। इस अवसर पर उनके साथ राज्य उप महा सचिव सुशील कौशिक, राज्य उप प्रधान अनिल स्वामी, जिला झज्जर प्रधान कृष्ण कुमार, सचिव संजय वर्मा, राममेहर, सुरेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे।
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उपरोक्त सवाल हिंदी अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष कृष्ण कुमार निर्माण, महासचिव डॉक्टर लोकेश शर्मा और कोषधयक्ष प्रवीण तायल, जिला झज्जर प्रधान कृष्ण कुमार, सचिव संजय वर्मा ने उठाते हुए कहा कि पहली बात तो ये कि अगर संस्कृत वाले हिंदी शिक्षण करा सकते है तो क्या हिंदी वाले संस्कृत शिक्षण नहीं करवा सकते। हिंदी शिक्षक भी संस्कृत शिक्षण करवा सकते है। दूसरी तरफ कला और शारीरिक शिक्षक तो अपने विषय के अलावा कोई और दूसरे विषय का अध्यापन नहीं करवाते, फिर वर्कलोड का बहाना कहां छूमंतर हो जाता है। क्योंकि कक्षाएं तो वही तीन ही होती हैं। लेकिन जब हिंदी भाषा शिक्षक के पद की बात आती है तो सरकार और विभाग नाक व भौ सिकोड़ने लग जाते हैं, जो कि सीधे सीधे राष्ट्र भाषा हिंदी और हिंदुस्तान का अपमान है, जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जा सकता।
राज्य प्रधान कृष्ण कुमार निर्माण ने इतना जरूर कहा कि उनकी माग किसी भी विषय के पद कम करवाना नहीं है और न ही किसी भी विषय के शिक्षक से उनका विरोध है, उनकी तो बस इतनी सी माग है कि हिंदी भाषा का स मान करते हुए और इस उदहारण को देखते हुए और शिक्षा के अधिकार कानून 2005 का स मान करते हुए हिंदी शिक्षक के पदों की भी बहाली की जाए, ताकि न केवल शिक्षा की गुणवत्ता कायम रह सके बल्कि हिंदी का मान सम्मान भी हो सके।
उन्होंने कहा कि इसी माग को लेकर 2 अक्टूबर 2016 को प्रदेश भर के शिक्षक करनाल मे जिला सचिवालय के सामने एक दिवसीय सत्याग्रह करेंगे। खास बात यह होगी कि इस सत्याग्रह में कर्मचारी आदोलन के इतिहास मे पहली बार महिला शिक्षिकाएं सत्याग्रह में भाग लेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार को उनकी बात माननी चाहिए क्योंकि उनकी माग मे किसी प्रकार की आर्थिक माग नहीं है। जिसकी घोषणा 1 नवंबर को होने वाले महा अनशन के दौरान की जायेगी। इस अवसर पर उनके साथ राज्य उप महा सचिव सुशील कौशिक, राज्य उप प्रधान अनिल स्वामी, जिला झज्जर प्रधान कृष्ण कुमार, सचिव संजय वर्मा, राममेहर, सुरेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे।
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