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अपनों को देने के लिए पैसे नहीं, बाहर से बुला रहे टीचर

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : घरवालों का बाय-बाय और बाहर वालों का घर में स्वागत है। ऐसा ही देखने को मिल रहा है शहर के शिक्षा विभाग में। विभाग द्वारा शहर से काम करने वाले डीसी रेट पर काम करने वालों को फंड न होने का बहाना बनाकर बाहर कर दिया है, वहीं, दूसरी तरफ कई गुणा ज्यादा सेलरी देकर पंजाब और हरियाणा के 92 अध्यापकों को शहर में बुला लिया गया है।
ऐसी स्थिति को देखकर लगता है कि विभाग का अपनों से मोहभंग हो चुका है। शुक्रवार को कॉन्ट्रैक्ट बेस पर काम करने वाले वॉलंटियर टीचरों को विभाग ने निकाल दिया था, वहीं, दूसरी तरफ विभाग के रजिस्ट्रार ने 92 टीचरों की लिस्ट जारी की है, जोकि शहर के स्कूलों में आकर विद्यार्थियों को पढ़ाएंगे।
एमएचआरडी के फंड की कमी का बहाना बनाकर किया टीचरों को रिलीव
विभाग के द्वारा जिन अध्यापकों को रिलीव किया गया, उनके बारे में साफ तौर पर कहा गया कि विभाग को एमएचआरडी का कम फंड मिला है। यह फंड सर्व शिक्षा अभियान के नाम पर दिया जाता है और इस बार अध्यापकों को देने के लिए 52 करोड़ 4 लाख रुपये दिए हैं, जोकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत काम करने वाले अध्यापकों को देने हैं। विभाग की नीतियों के कारण पहले भी करीब 8 अध्यापक काम को छोड़ चुके हैं। उसके बाद अब विभाग के द्वारा खुद ही कई अध्यापकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
डेपुटेशन वालों को बुलाने की बन चुकी है लिस्ट
शहर के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए डेपुटेशन का कोटा है। उसके अनुसार अध्यापकों को बुलाया जाता है लेकिन कई अध्यापक ऐसे हैं, जोकि ओवर स्टे हो चुके हैं लेकिन विभाग ने उन्हें निकाला नहीं और एक नई लिस्ट जारी कर दी है। इन वेतन निकाले गए अध्यापकों से तीन से चार गुणा ज्यादा होता है जिसे प्रशासन की तरफ से वहन किया जाता है।
दिव्यांगों का भविष्य जा रहा है गर्त में
जिन अध्यापकों को विभाग के द्वारा बाहर का रास्ता दिखाया है वह मुख्य तौर पर दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए नियुक्त किए गए थे। कई दिव्यांग बच्चे ऐसे भी होते है जो कि स्कूल नहीं आ पाते है उन्हें पढ़ाने के लिए यह अध्यापक उनके घरों तक जाते थे। इसके अलावा कई अभिभावक ऐसे भी होते हैं, जोकि दिव्यांग बच्चों को स्कूलों में भेजना ही नहीं चाहते हैं, उन्हें स्कूल तक लाने का जिम्मा इन्हीं अध्यापकों पर होता था। यदि विभाग ने इन्हें वापस नहीं बुलाया जाता है तो इन दिव्यांग बच्चों का भविष्य अंधेरे में चला जाएगा।
एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्किल इंडिया का नारा दे रखा है, वहीं, दूसरी तरफ दिव्यांगों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। यदि दिव्यांगों को आगे नहीं बढ़ाया जाएगा तो स्किल इंडिया का नारा कभी भी पूरा नहीं हो सकता है। प्रशासन को जरूरत है कि जल्द से जल्द दिव्यांग बच्चों के भविष्य के बारे में सोचे और कोच और अध्यापकों की नियुक्ति की जाए।

-सवर्ण सिंह कंबोज, प्रेसिडेंट, यूटी कैडर एजुकेशन यूनियन
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