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शिक्षकों के पद ही रिक्त तो बेहतर परिणाम की उम्मीद कैसे

संवाद सूत्र, डबवाली : बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा देनी वाली भाजपा सरकार में राजकीय विद्यालयों में शिक्षा का ग्राफ किस कदर नीचे गिर रहा है उसकी बानगी देखनी हो तो डबवाली के विद्यालयों में चले आइये। वार्षिक परीक्षा सिर पर है लेकिन विद्यालयों में पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं है।
वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की स्थिति सबसे ¨चताजनक है। इन विद्यालयों में 50 प्रतिशत से ज्यादा प्राध्यापकों के पद खाली पड़े है। गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, संस्कृत और पंजाबी जैसी महत्वपूर्ण विषयों के पद रिक्त है। ऐसे में सरकारी विद्यालयों के छात्रों से बेहतर परिणाम की उम्मीद कैसे की जा सकती है। राजकीय विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य से किस प्रकार खिलवाड़ हो रहा है यह उसकी भयावह स्थिति है।
खंड डबवाली में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च और वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों का जायजा लिया तो शिक्षा की खंडित होती तस्वीर ही सामने आई। डबवाली खंड में 14 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, 15 उच्च विद्यालय और 24 माध्यमिक विद्यालय और 80 प्राथमिक पाठशालाओं के साथ एक कस्बूरबा गांधी और एक आरोही विद्यालय है। लेकिन खंड डबवाली में एकाध अपवाद को छोड़ कर ऐसा कोई विद्यालय नहीं है जिसमें जरूरत के हिसाब से सभी विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति हो। विद्यालयों में पढ़ने के लिए बच्चे तो उपस्थित है लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए अध्यापकों पद खाली पड़े है। आखिर बड़ा सवाल यह है कि स्कीलड इंडिया और डेवेल्पड इंडिया का नारा देनी वाली सरकार बिना शिक्षकों को बच्चों को पढ़ायेगी कैसे।
डबवाली के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 16 पदों पर शिक्षक ही नहीं है। विद्यालय में विद्यार्थियों के हिसाब से कुल 35 पद स्वीकृत है जिसमें से मात्र 19 प्राध्यापक ही विद्यार्थियों का शिक्षित कर रहे है। विद्यालय में अंग्रेजी विषय के 6 पद स्वीकृत है जिनमें से एक गेस्ट टीचर सहित मात्र तीन प्राध्यापक ही मौजूद है, शेष तीन पद खाली पड़े है। ¨हदी और गणित के 4-4 पद स्वीकृत है जिनमें ¨हदी के तीन और गणित का एक पद रिक्त पड़ा है। इतिहास व फिजिक्स विषय के दो प्राध्यापकों के पद स्वीकृत है और दोनों विषयों को पढ़ाने के लिए विद्यालय में प्राध्यापक ही नहीं है। इसी प्रकार बॉयलाजी का प्राध्यापक भी विद्यालय में उपलब्ध नहीं है। संस्कृत के शिक्षक के पद पर भी अभी तक किसी की नियुक्ति नहीं है। इस प्रकार कई अहम विषयों के शिक्षक उपलब्ध नहीं है तो बच्चे पढ़ेंगे कैसे।
इसी प्रकार सुखेड़ा खेड़ा के उच्च विद्यालय में मुख्याध्यापक ही नहीं है। इसके अलावा गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान के अध्यापक ही नहीं है। इसी विद्यालय में प्राध्यापकों के 5 पद खाली पड़े है।

गांव-गांव के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में ¨प्रसिपल का पद रिक्त पड़ा है। अंग्रेजी व ¨हदी विषय के प्राध्यापक के दो पद है परन्तु अभी तक विद्यालय में दोनों विषयों का एक भी प्राध्यापक नहीं है। इसी प्रकार इतिहास, गणित, संस्कृत, इकोनामिक्स, पंजाबी, फिजिक्स, फाइन आर्ट के एक-एक पद स्वीकृत है लेकिन इन पदों पर सरकार ने अभी तक प्राध्यापकों की नियुक्ति नहीं की है। गांव लोहगढ़ के वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 15 शिक्षकों के पद खाली है जिनमें अंग्रेजी विषय के दो, इकोनामिक्स, ज्योग्राफी, बॉयलाजी, कैमिस्टरी, फिजिक्स के प्राध्यापकों के पद रिक्त पड़े हैं। डबवाली के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की भी इसी तरह से ¨चताजनक स्थिति है। इस विद्यालय में 23 प्राध्यापकों में से 10 प्राध्यापकों के पद रिक्त पड़े है। जिनमें गणित के दो, एक कमर्स, पंजाबी की एक और संस्कृत का एक ज्योग्राफी, कैमिस्टरी, और बॉयोलाजी के पद रिक्त पड़े है।

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