चंडीगढ़।
13 साल की सेवाएं पूरी करने के बाद आख़िरकार गेस्ट टीचरों के अच्छे दिन आ
गए । सरकार ने अपना वायदा निभाते हुए गेस्ट टीचरों को अतिथि से स्थाई करने
का बिल विधानसभा में पूर्ण बहुमत से “हरियाणा अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक
2019 ” पास कर करते हुए उनकी सेवाओं को 58 साल तक बरकरार कर दिया है। इस
बिल से बीजेपी सरकार जहां गेस्ट टीचरों से किया वायदा पूरा करने की बात कर
रही है वहीं गेस्ट टीचर भी सरकार के इस कदम का स्वागत कर रहे है। बिल पास
होने के बाद अब गेस्ट टीचरों के सभी पद खाली नहीं माने जाएंगे और उनसे
नियमित अध्यापकों की तरह सरकारी स्कूलों में हर प्रकार का कार्य लिया
जाएगा। हालाँकि गेस्ट टीचर की सैलरी कितनी बढ़ेगी अभी तक ये साफ नहीं हो
पाया है। हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ 22 ने इसे अपने संघर्ष व सरकार के
सहयोग का परिणाम बताया है।
प्रदेश
के सरकारी स्कूलों में 21 दिसंबर 2005 से शुरू हुआ गेस्ट टीचरों का सफर
काफी उतार चढ़ाव के बाद 12 साल पुरे कर तेरहवें साल में प्रवेश कर गया था।
इस सालों के दौरान गेस्ट टीचरों ने नियमित करने की मांग को लेकर प्रदेश में
सबसे ज्यादा आंदोलन किए थे और सैकड़ों अध्यापकों की संघर्ष के दौरान मोत भी
हो गई थी। अब तो आलम ये था कि गेस्ट टीचर इस कहावत को भी दोहराते नजर आ रहे थे कि 12 साल बाद तो कुरड़ी के भी दिन फिरते है। इन
13 वर्षों में गेस्ट टीचरों की कड़ी मेहनत की बदौलत ही सरकारी स्कूलों में
बच्चों की संख्या बढ़ी जिसके परिणामस्वरूप गेस्ट टीचर हजारों बेरोजगार
अध्यापकों को रोजगार दिलाते रहे लेकिन खुद राजनीती का शिकार होते रहे।
13 सालों के दौरान गेस्ट टीचरों ने प्रदेश के कर्मचारियों के इतिहास में आज
तक के सबसे ज्यादा आंदोलन करने पड़े। कड़े संघर्ष के दौरान इन्होने
अध्यापिका राजरानी की शहादत भी देनी पड़ी। इनके द्वारा किए गए आंदोलनों में
रोहतक, पंचकुला, दिल्ली, जींद, करनाल व महेंद्रगढ़ आदि प्रमुख रहे है। गेस्ट
टीचरों ने पिछले13 वर्षों से उनके संघर्ष की इस लडाई में साथ देने पर सभी
कर्मचारी संगठनों, सामाजिक संगठनों, मीडिया, शिक्षा विभाग के सभी
अधिकारियों व समाज के सभी बुद्धि जीवों के साथ साथ हरियाणा सरकार का आभार
जताया है।
ऐसे शुरू हुआ था प्रदेश में गेस्ट टीचरों का सफर –
प्रदेस में 13 साल पहले एक समय ऐसा था जब शिक्षा का स्तर व स्कूलों का
परीक्षा परिणाम बिलकुल गिर गया था और चारो और से पूर्व की कांग्रेस सरकार
पर शिक्षा के सुधार के लिए दबाव बढ़ता जा रहा था। ऐसे में सरकार के पास कम
समय में नियमित शिक्षक भर्ती कर पाना असम्भव था । ऐसी दशा में कांग्रेस
सरकार ने सरकारी स्कूलों में 5 दिसंबर 2005 से गेस्ट टीचर की पोलिसी अपनाई
जो कि शिक्षा के क्षेत्र में चमत्कार के रूप में साबित हुई। सन 2005 में एक
मजदूर से भी कम वेतनमान में काम करने वाले गेस्ट टीचरों की भर्ती होते ही
पहले ही वर्ष सरकारी स्कूलों में बच्चो की संख्या और उनका परीक्षा परिणाम
आसमान की ऊँचाइयों को छूने लगा। जिससे सरकार भी गेस्ट टीचरों की मुरीद हो
गई। बस फिर क्या था इसके बाद गेस्ट टीचरों ने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा। इन
12 वर्षों में गेस्ट टीचरों की बदौलत प्रदेश के सरकारी स्कूलों में बच्चों
की संख्या इतनी अधिक हो गई कि सरकार को समय समय पर हजारों की संख्यां में
नियमित भर्ती करने के बावजूद भी हजारों पद खाली पड़े रहे। गेस्ट टीचरों ने
एक तरफ जहां शिक्षा में कई गुणा सुधार किया वहीं हजारों बेरोजगार अध्यापकों
को रोजगार दिलाने का कार्य किया।
क्या कहते है गेस्ट टीचर : हरियाणा के इतिहास में जितना संघर्ष व कुर्बानी प्रदेश के 14 हजार गेस्ट टीचरों ने दी है उसी का परिणाम उन्हें मिला है। हरियाणा सरकार ने विधानसभा में “हरियाणा
अतिथि शिक्षक सेवा विधेयक 2019 ” बिल पास करके जो सेवा सुरक्षा दी है उसके
लिए प्रदेश के 14 हजार गेस्ट टीचर बीजेपी सरकार व शिक्षा मंत्री सहित पुरे
मंत्रिमंडल के आभारी है जिन्होंने उनकी सेवा को 58 वर्ष तक स्थाई किया।
गेस्ट टीचरों पर हर समय हटने की जो तलवार बनी रहती थी उससे अब राहत मिलेगी
और सभी अध्यापक सम्मान के साथ सरकारी स्कूलों में काम करते रहेंगे और
स्कूलों को हर क्षेत्र में चमकाते रहेंगे। सरकार जल्द से जल्द अधिकारीयों
को पत्र जारी कर आदेश दे कि शिक्षा विभाग उन्हें वो सब सुविधाएँ दे जो
नियमित अध्यापकों को मिलती है।