** बीएड पर दो साल की मार : डेढ़ साल पढ़ाई और 6 माह के इंटर्नशिप से घटी रुचि
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** कोर्स दो साल का करने के साथ ही फीस भी हो गई ज्यादा हो गई
रेवाड़ी : बीएड कोर्स, जिसके लिए हर साल सीटों की मारामारी रहती है, इस बार आधे से ज्यादा सीटें खाली ही रह गईं। बीएड कोर्स इस बार दो साल का होने फीस अधिक होने के कारण युवाओं ने इसमें रूचि नहीं दिखाई है। नतीजतन प्रदेशभर के 474 सेल्फ फाइनेंस कॉलेज में बीएड की 58532 सीटाें में से केवल 44 प्रतिशत सीटों पर ही दाखिले हो पाए हैं। यानी 56 प्रतिशत सीटें अभी भी वैकेंट हैं।
प्रदेश सरकार के निर्देश पर हर साल अलग-अलग यूनिवर्सिटी बीएड कोर्स कंडक्ट कराती हैं। इस बार चौधरी रणबीर सिंह यूनिवर्सिटी जींद द्वारा आवेदन मांगे जा रहे हैं। अॉनलाइन आवेदन के लिए अब महज तीन दिन का समय ही बाकी है। इससे कॉलेजों को भी अधिक एडमिशन हो पाने की कम ही उम्मीद है। हाल ये है कि कई कॉलेज पंफलेट आदि के माध्यम से युवाओं को विभिन्न सुविधाएं देकर लुभाने का भी प्रयास कर रहे हैं, मगर युवाओं का रुझान अधिक नजर नहीं रहा। यमुनानगर पंचकूला जैसे जिलों में तो सीटें 71 प्रतिशत से भी अधिक खाली हैं, जबकि पानीपत, कुरुक्षेत्र करनाल में 64 से 68 प्रतिशत तक सीटें नहीं भरी हैं। बात रेवाड़ी की करें तो यहां भी 44.47 प्रतिशत सीटों पर दाखिले नहीं हुए हैं।
एडमिशन के लिए 24 सितंबर तक कर सकते हैं अप्लाई : वीसी
"इस बार कोर्स दो साल का होने के कारण सीटें खाली रह गई हैं। ऐसे में फीस भी ज्यादा देनी होगी। एडमिशन के लिए 24 सितंबर तक अप्लाई किया जा सकता है, उम्मीद है कुछ और एडमिशन आएंगे।"-- मेजर जनरल डॉ. रणजीत सिंह, सीआरएसयू, जींद।
ये चार फैक्टर अहम
पहला :2 साल का पीरियड
इसबार बीएड कोर्स दो साल का कर दिया गया है। युवाओं को कोर्स का दो साल लंबा पीरियड रास नहीं रहा है। इससे एक साल में बीएड पूरी कर युवाओं केा डिग्री मिल जाती थी। अब युवाओं को डेढ़ साल पढ़ाई के बाद 6 माह की इंटर्नशिप करनी होगी।
दूसरा: आर्थिकपहलू
दाखिले कम होने का बड़ा फैक्टर आर्थिक पहलू भी है। पहले एक साल के लिए 40 से 50 हजार रुपए तक फीस देने होती थी, जबकि इस बार एक साल के लिए 44 हजार रुपए फीस निर्धारित है। अगली साल भी करीब इतनी ही फीस देनी होगी। इसमें कॉलेजों द्वारा लिया जाने वाला चार्ज भी जुड़ेगा।
तीसरा : अटेंडेंसपर सख्ताई
विशेषतौर से सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में ऐसे बड़ी संख्या में बीएड करते रहे हैं जो कि शिक्षण करते हुए या अन्य काम के कारण नियमित रूप से कॉलेज नहीं पाते। अब कुछ समय से इस पर सख्ताई भी हुई है। ऐसे में दो साल तक इसके लिए एडजस्टमेंट पर भी चिंता है।
चौथा: कॉलेजोंकी संख्या
पहले बीएड करने के लिए राजस्थान तथा यूपी आदि राज्यों से बड़ी संख्या में युवा प्रदेश के कॉलेजों में एडमिशन लेते थे। अब उन राज्यों में भी कॉलेजों की संख्या काफी बढ़ गई है तथा बीएड कर चुके युवाओं की भी संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है। जिसका असर पड़ रहा है।
एक्सपर्ट व्यू : एक साल बाद ही इंटर्नशिप बेहतर
"बीएडकोर्स एक साल का ही बेहतर है। या फिर एक साल पढ़ाई के बाद छह माह की इंटर्नशिप रखी जा सकती थी। अब डेढ़ साल पढाई के बाद 6 माह की इंटर्नशिप करनी होगी। इससे फीस भी ज्यादा हो गई और कोर्स का समय भी काफी बढ़ गया।"-- डॉ. कुसुम यादव, प्रिंसिपल, आरबीएस कॉलेज ऑफ एजुकेशन रेवाड़ी
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