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केंद्र सरकार नहीं ले रही निट की सुध

चार माह से खाली पड़ा है गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन का पद
कुरुक्षेत्र : प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार तक शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने का डंका तो बजा रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों के अलावा शायद ही भाजपा की कोई उपलब्धि नजर आ रही हो। शिक्षा को भाषणों में ही विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। आलम ये है कि प्रदेश का एकमात्र राष्ट्रीय संस्थान भी मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर से उपेक्षा का शिकार है। वो भी तब जब मानव संसाधन विकास मंत्रलय प्रधानमंत्री के सबसे नजदीक मानी जाने वाली स्मृति इरानी के पास है। 
स्थति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कुरुक्षेत्र में सर्वोच्च माने जाने वाले गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन का पद पिछले चार माह से खाली है। ऐसे में नीतिगत फैसले लेने के लिए निट निदेशक महोदय ही सर्वेसर्वा हैं। फिर वे चाहे गलत लें या फिर सही। उनके उपर देखने वाला कोई नहीं है। यूं तो केंद्र में मानव संसाधन विकास मंत्रलय को देश भर में उच्च शिक्षा के विकास के लिए ही खड़ा किया गया है। केंद में भी यह अहम विभाग माना जाता है। इसलिए यह मंत्रलय पार्टी के कद्दावर नेता को दिया जाता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नजदीक मानी जाने वाली केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के पास देश की शिक्षा की बागडोर है, लेकिन वे शायद प्रदेश में स्थित राष्ट्रीय संस्थानों को भूल गई हैं वो भी तब जब प्रदेश में भी भाजपा की सरकार है। कुरुक्षेत्र स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थित कुछ ऐसी ही है। संस्थान में करीब तीन वर्ष पूर्व केंद्र सरकार की ओर से ब्रह्मोस मिजाइल के निर्माता और वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. शिवधानु पिल्लई को निट कुरुक्षेत्र की गवर्निंग बॉडी का चेयरमैन बनाया गया था। हालांकि वे अपने कार्यकाल में बहुत कम समय ही कुरुक्षेत्र निट को दे पाए। उनके समय में निदेशक रहे प्रो. आनंद मोहन पर कर्मचारियों से लेकर विद्यार्थियों तक ने मनमानी और तानाशाही के आरोप लगाए। इन दिनों में निट में हुई भर्ती फिर चाहे वो शिक्षकों की हो या फिर गैर शिक्षक कर्मचारियों की कोई भी ऐसी नहीं रही जिस पर विवाद नहीं रहा हो। इनमें से कई भर्तियां तो कोर्ट के चक्कर भी लगा रही हैं। उन पर अपने चहेतों और रिश्तेदारों को भी लाभ देने के आरोप लगते रहे हैं। वहीं केंद्र में भाजपा सरकार आने के बाद लगने लगा था कि कुछ ठीक होगा। इस दौरान डॉ. शिवधानु पिल्लई का कार्यकाल भी 7 जून को पूरा हो गया और अब उनका पद भी निदेशक प्रो. आनंद मोहन के पास है। पिछले चार माह से खाली पड़े पद को भरने में मानव संसाधन विकास मंत्रलय रुचि नहीं दिखा रहा है।
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