जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : एमबीबीएस सहित कई प्रोफेशनल व अन्य पाठ्यक्रमों में रिक्त पड़ी 10 प्रतिशत सीटों को भरने का रास्ता साफ हो गया है। सोमवार को प्रदेश सरकार ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि वर्तमान शैक्षिक सत्र में प्रवेश प्रक्रिया के दौरान विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए
10 प्रतिशत सीटों का प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा। इन सीटों को सामान्य वर्ग से भरा जाएगा।
सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अब याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। इसलिए मामले को खत्म कर दिया जाए। निधि जैन ने अपनी याचिका में बताया था कि प्रदेश सरकार ने तीन नोटिफिकेशन के माध्यम से अन्य जातियों व वर्गो को आरक्षण का लाभ दिया था। पहली नोटिफिकेशन के तहत जाट, बिश्नोई, त्यागी, रोड और जट सिखों को विशेष पिछड़ा वर्ग करार देकर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। दूसरी नोटिफिकेशन में सामान्य वर्ग के लोगों के लिए 10 प्रतिशत आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई थी तथा तीसरी नोटिफिकेशन में जाट से मुसलमान बनने वालों को आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। याची ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केसी गुप्ता आयोग की सिफारिशों को खारिज करने के बाद हाईकोर्ट ने भी हरियाणा सरकार द्वारा विशेष पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के दौरान इन सीटों को रिक्त रखने का फैसला किया। याची ने कहा कि वह एमबीबीएस में प्रवेश लेना चाहती है लेकिन पीजीआइ रोहतक में 37 सीटों को इसी कोटे के तहत रिजर्व रखा गया है जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार 30 सितंबर प्रवेश के लिए अंतिम तिथि है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है। सोमवार को सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में रिक्त सीटों को सामान्य श्रेणी में मर्ज कर दिया जाएगा।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
10 प्रतिशत सीटों का प्रावधान लागू नहीं किया जाएगा। इन सीटों को सामान्य वर्ग से भरा जाएगा।
सरकार के इस जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अब याचिका का कोई औचित्य नहीं रह जाता है। इसलिए मामले को खत्म कर दिया जाए। निधि जैन ने अपनी याचिका में बताया था कि प्रदेश सरकार ने तीन नोटिफिकेशन के माध्यम से अन्य जातियों व वर्गो को आरक्षण का लाभ दिया था। पहली नोटिफिकेशन के तहत जाट, बिश्नोई, त्यागी, रोड और जट सिखों को विशेष पिछड़ा वर्ग करार देकर 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया गया था। दूसरी नोटिफिकेशन में सामान्य वर्ग के लोगों के लिए 10 प्रतिशत आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई थी तथा तीसरी नोटिफिकेशन में जाट से मुसलमान बनने वालों को आरक्षण का लाभ देने का प्रावधान किया गया था। याची ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा केसी गुप्ता आयोग की सिफारिशों को खारिज करने के बाद हाईकोर्ट ने भी हरियाणा सरकार द्वारा विशेष पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के दौरान इन सीटों को रिक्त रखने का फैसला किया। याची ने कहा कि वह एमबीबीएस में प्रवेश लेना चाहती है लेकिन पीजीआइ रोहतक में 37 सीटों को इसी कोटे के तहत रिजर्व रखा गया है जबकि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की गाइड लाइन के अनुसार 30 सितंबर प्रवेश के लिए अंतिम तिथि है। इस पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह कोर्ट की अवमानना की श्रेणी में आता है। सोमवार को सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कहा कि शैक्षणिक संस्थानों में रिक्त सीटों को सामान्य श्रेणी में मर्ज कर दिया जाएगा।
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