चंडीगढ़ : सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने भाजपा सरकार द्वारा पदोन्नति में आरक्षित कोटे के तहत पदोन्नत हुए एससी कर्मचारियांे को रिवर्ट करने के प्रयासों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है। संघ ने सरकार से पदोन्नति पाए कर्मचारियों को रिवर्ट करने की बजाय एम नागराज बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले में 19 अक्टूबर 2006 के निर्णय के तहत एक-एक कर्मचारी की पदोन्नति के औचित्य पर न्यायालय से पुनर्विचार की अपील करने की मांग की, ताकि किसी को नुकसान न हो सके।
संघ ने अनुसूचित जाति व सामान्य और पिछड़ा वर्ग जातियों के संगठनांे द्वारा इस मामले में प्रदेश में किए जा रहे ध्रुवीकरण के प्रयासांे पर भी गहरी नाराजगी जताई। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान धर्मबीर फौगाट, महासचिव सुभाष लांबा व सचिव सुखदेव सिंह ने बताया कि सरकार कोर्ट में तथ्यांे को जान-बूझकर प्रस्तुत करने की बजाय कर्मचारियों में फूट डालने का प्रयास कर रही है।
फौगाट और लांबा के अनुसार आज लड़ाई रोजगार के अवसर बढ़ाने, सरकारी विभागों व शिक्षण संस्थानों को बचाने, प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू करवाने के लिए है। सर्व कर्मचारी संघ 25 नवंबर को करनाल में राज्य स्तरीय रैली से इसका आगाज करेगा। लांबा के अनुसार 19 अक्टूबर 2006 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कहा गया था कि राज्य सरकार जिन कर्मचारियों को आरक्षित श्रेणी में पदोन्नत करना चाहती है, एक-एक कर्मचारी के मामले में कर्मचारियांे के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन, अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और समग्र प्रशासनिक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव आदि के आंकड़े देकर कर सकती है। लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार व वर्तमान भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट में कोई आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए, जिस कारण हाईकोर्ट ने सरकार की याचिका व पुनर्विचार याचिका को रद कर दिया।
कांग्रेस सरकार ने नहीं दी थी रिपोर्टकर्मचारी नेताओं के अनुसार पिछली कांग्रेस सरकार ने 19 फरवरी, 2013 को पी राघवेंद्र राव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। दिसंबर 2013 में कमेटी ने रिपोर्ट सरकार को पेश कर दी थी, लेकिन पूर्व सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर पदोन्नति के औचित्य के समर्थन में रिपोर्ट नहीं दी।

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संघ ने अनुसूचित जाति व सामान्य और पिछड़ा वर्ग जातियों के संगठनांे द्वारा इस मामले में प्रदेश में किए जा रहे ध्रुवीकरण के प्रयासांे पर भी गहरी नाराजगी जताई। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रधान धर्मबीर फौगाट, महासचिव सुभाष लांबा व सचिव सुखदेव सिंह ने बताया कि सरकार कोर्ट में तथ्यांे को जान-बूझकर प्रस्तुत करने की बजाय कर्मचारियों में फूट डालने का प्रयास कर रही है।
फौगाट और लांबा के अनुसार आज लड़ाई रोजगार के अवसर बढ़ाने, सरकारी विभागों व शिक्षण संस्थानों को बचाने, प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण लागू करवाने के लिए है। सर्व कर्मचारी संघ 25 नवंबर को करनाल में राज्य स्तरीय रैली से इसका आगाज करेगा। लांबा के अनुसार 19 अक्टूबर 2006 के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में कहा गया था कि राज्य सरकार जिन कर्मचारियों को आरक्षित श्रेणी में पदोन्नत करना चाहती है, एक-एक कर्मचारी के मामले में कर्मचारियांे के सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन, अपर्याप्त प्रतिनिधित्व और समग्र प्रशासनिक क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव आदि के आंकड़े देकर कर सकती है। लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार व वर्तमान भाजपा सरकार ने हाईकोर्ट में कोई आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए, जिस कारण हाईकोर्ट ने सरकार की याचिका व पुनर्विचार याचिका को रद कर दिया।
कांग्रेस सरकार ने नहीं दी थी रिपोर्टकर्मचारी नेताओं के अनुसार पिछली कांग्रेस सरकार ने 19 फरवरी, 2013 को पी राघवेंद्र राव की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। दिसंबर 2013 में कमेटी ने रिपोर्ट सरकार को पेश कर दी थी, लेकिन पूर्व सरकार ने इस रिपोर्ट के आधार पर पदोन्नति के औचित्य के समर्थन में रिपोर्ट नहीं दी।

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