पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हादसे में मारे में सरकारी कर्मचारियों के परिजनों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने की हरियाणा सरकार की नीति पर गंभीर साल उठाए। हाई कोर्ट ने कहा, बिजली के खंभे से करंट लगकर हुई पिता की मौत के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी मांगने वाले युवक के साथ हरियाणा सरकार ने नाइंसाफी की है। अब हम उसे बताएंगे कि इंसाफ कैसे किया जाता है
हाईकोर्ट के जस्टिस एसके मित्तल और जस्टिस शेखर धवन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी सोमवार को बिजली निगम द्वारा दाखिल एक अपील पर सुनवाई के दौरान की। खंडपीठ ने अगली सुनवाई के दौरान निगम के प्रबंध निदेशक को कोर्ट में मौजूद रहने का निर्देश दिया।
एकल पीठ में याचिका दाखिल करते हुए राकेश कुमार ने कहा था कि उसके पिता दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम में असिस्टेंट लाइनमैन थे। 30 नवंबर 2002 को वह एक खंभे पर बिजली ठीक करने चढ़े थे कि करंट का एक झटका लगा और वह नीचे गिर गए। गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां 5 दिसंबर को उनकी मौत हो गई।
इसके बाद राकेश ने 7 दिसंबर 2005 को अनुकंपा के आधार पर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की अपील की। निगम ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा कि उनके परिवार में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है जिस कारण उन्हें चौथी श्रेणी के कर्मचारी के तौर पर भी नौकरी नहीं दी जा सकती। उन्हें पेंशन या एकमुश्त रकम में से किसी एक का चुनाव करने को कहा गया। इसके बाद याचिकाकर्ता को पेंशन दी जानी लगी
राकेश ने याचिका में बताया कि 6 सितंबर 2011 को निगम ने पत्र लिखकर कहा कि वे ढाई लाख रुपये के ही हकदार हैं और पेंशन बंद कर दी गई। एकल पीठ ने पेंशन जारी रखने का आदेश दिया, लेकिन निगम ने खंडपीठ में याचिका दाखिल कर दी
कहा-एसी में बैठे नौकरशाह क्या समझेंगे पीडि़तों का दर्द
खंडपीठ ने कहा कि निगम व हरियाणा सरकार द्वारा एकल पीठ के आदेश को चुनौती देना सीधे तौर पर उस परिवार के साथ अन्याय है। नौकरशाह एसी कमरों में बैठकर खुद को संस्थानों का मालिक समझने लगते हैं। वे गरीब लोगों की मजबूरी को भूल जाते हैं। जिस प्रकार से इस गरीब परिवार को केवल ढाई लाख रुपये देने की बात कही जा रही है वह सीधे तौर पर अन्याय है।
खंडपीठ ने कहा कि निगम व हरियाणा सरकार द्वारा एकल पीठ के आदेश को चुनौती देना सीधे तौर पर उस परिवार के साथ अन्याय है। नौकरशाह एसी कमरों में बैठकर खुद को संस्थानों का मालिक समझने लगते हैं। वे गरीब लोगों की मजबूरी को भूल जाते हैं। जिस प्रकार से इस गरीब परिवार को केवल ढाई लाख रुपये देने की बात कही जा रही है वह सीधे तौर पर अन्याय है।
खंडपीठ ने कहा कि हरियाणा सरकार को अब हाईकोर्ट सिखाएगा कि न्याय कैसे किया जाता है। खंडपीठ ने 7 दिसंबर को निगम के प्रबंध निदेशक को हाईकोर्ट में तलब करते हुए निर्देश दिया कि वे इस हादसे और मुआवजे से जुड़े पूरे रिकॉर्ड के साथ आएं।
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