जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : राजकीय कला अध्यापक संघ के जिला प्रधान
सुरम ¨सह का कहना है कि प्रदेश सरकार बहरी हो गई है। पिछले कई वर्षों से
कला अध्यापक भाषा अध्यापकों के बराबर वेतनमान की मांग की रहे हैं, लेकिन
सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है। कला अध्यापकों ने बृहस्पतिवार
को आयोजित जिला स्तरीय बैठक में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों के प्रति गंभीर नहीं है। प्रदेश के सीएंडवी शिक्षकों को एक ही श्रेणी में रखे और एक ही वेतनमान निर्धारित करे। कला अध्यापकों व शारीरिक शिक्षकों को इससे बाहर निकाला गया है। इनकी जब एक ही योग्यता है तो केवल कला अध्यापकों और शारीरिक शिक्षकों को बाहर क्यों निकाला गया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि कई जगह डीपीई यानि शारीरिक शिक्षकों को मिडिल स्कूलों में लगाया गया है। जबकि ये गलत है। उनकी नियुक्ति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में ही होनी चाहिए। राज्य कोषाध्यक्ष ने कहा कि सीएंडवी की योग्यता एक होने के बाद भी वेतन में अंतर है। वहीं शारीरिक शिक्षक कैडर को डेड कैडर में डाला गया है। जबकि स्कूलों में आज भी शारीरिक शिक्षकों के पद खाली हैं। प्रदेश सरकार वैसे तो खेलों को बढ़ावा देने का दम भर रही है, लेकिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की भर्ती नहीं कर रही। खाली सीटों पर तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए। पूर्व प्रधान जसवंत ¨सह ने कहा कि जो कला अध्यापक व शारीरिक शिक्षक 2010 में लगे थे। प्रदेश सरकार न्यायालय में उनकी पैरवी करे। ताकि अध्यापक अपना कार्य बेझिझक करें। इस मौके पर पवन कुमार, सुनील कुमार, पंकल कुमार, रामकुमार, कृष्ण कुमार, राजीव, गुरजंट ¨सह, ओमप्रकाश, जय ¨सह, रामदिया आदि उपस्थित रहे।
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उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षकों के प्रति गंभीर नहीं है। प्रदेश के सीएंडवी शिक्षकों को एक ही श्रेणी में रखे और एक ही वेतनमान निर्धारित करे। कला अध्यापकों व शारीरिक शिक्षकों को इससे बाहर निकाला गया है। इनकी जब एक ही योग्यता है तो केवल कला अध्यापकों और शारीरिक शिक्षकों को बाहर क्यों निकाला गया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि कई जगह डीपीई यानि शारीरिक शिक्षकों को मिडिल स्कूलों में लगाया गया है। जबकि ये गलत है। उनकी नियुक्ति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों में ही होनी चाहिए। राज्य कोषाध्यक्ष ने कहा कि सीएंडवी की योग्यता एक होने के बाद भी वेतन में अंतर है। वहीं शारीरिक शिक्षक कैडर को डेड कैडर में डाला गया है। जबकि स्कूलों में आज भी शारीरिक शिक्षकों के पद खाली हैं। प्रदेश सरकार वैसे तो खेलों को बढ़ावा देने का दम भर रही है, लेकिन स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों की भर्ती नहीं कर रही। खाली सीटों पर तुरंत भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाए। पूर्व प्रधान जसवंत ¨सह ने कहा कि जो कला अध्यापक व शारीरिक शिक्षक 2010 में लगे थे। प्रदेश सरकार न्यायालय में उनकी पैरवी करे। ताकि अध्यापक अपना कार्य बेझिझक करें। इस मौके पर पवन कुमार, सुनील कुमार, पंकल कुमार, रामकुमार, कृष्ण कुमार, राजीव, गुरजंट ¨सह, ओमप्रकाश, जय ¨सह, रामदिया आदि उपस्थित रहे।
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