दिल्ली उच्च न्यायालय ने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला
को ‘सामाजिक संबंधों’ को कायम रखने के लिए तीन सप्ताह के पैरोल पर रिहा
करने का सोमवार (6 फरवरी) को आदेश दिया।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने दिल्ली के बाहर आने-जाने पर रोक लगाए बिना चौटाला को तीन सप्ताह के लिए रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि यह राहत उन्हें ‘समाज और परिवार के सदस्यों के साथ संबंध फिर से स्थापित करने के लिए’ दी जाती है। अदालत का आदेश चौटाला की याचिका पर आया जिन्होंने मुख्यधारा में लौटने की अनुमति देने के लिए छह महीने के पैरोल की मांग की थी। इनेलो नेता ने अपने वकील अमित साहनी के जरिए कहा कि दिल्ली सरकार ने राहत देने से मना करने वाला 14 दिसंबर का फैसला तुच्छ आधार पर काफी अनुचित तरीके से सुनाया।
82 वर्षीय चौटाला ने यह भी कहा कि वह जन्म के समय से ही ‘पोलियो से ग्रस्त’ हैं और 60 फीसदी स्थायी रूप से विकलांग हैं। उन्होंने कहा कि वह मुकदमे के दौरान जमानत पर थे और उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया, लेकिन उन्होंने उसका कभी दुरुपयोग नहीं किया। चौटाला, उनके पुत्र अजय चौटाला और तीन अन्य मामले में 10 साल के कारावास की सजा काट रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2015 में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ चौटाला की अपील को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराने और 10 साल के कारावास की सजा सुनाने के फैसले को बरकरार रखा था।
न्यायमूर्ति विपिन सांघी ने दिल्ली के बाहर आने-जाने पर रोक लगाए बिना चौटाला को तीन सप्ताह के लिए रिहा करने का आदेश देते हुए कहा कि यह राहत उन्हें ‘समाज और परिवार के सदस्यों के साथ संबंध फिर से स्थापित करने के लिए’ दी जाती है। अदालत का आदेश चौटाला की याचिका पर आया जिन्होंने मुख्यधारा में लौटने की अनुमति देने के लिए छह महीने के पैरोल की मांग की थी। इनेलो नेता ने अपने वकील अमित साहनी के जरिए कहा कि दिल्ली सरकार ने राहत देने से मना करने वाला 14 दिसंबर का फैसला तुच्छ आधार पर काफी अनुचित तरीके से सुनाया।
82 वर्षीय चौटाला ने यह भी कहा कि वह जन्म के समय से ही ‘पोलियो से ग्रस्त’ हैं और 60 फीसदी स्थायी रूप से विकलांग हैं। उन्होंने कहा कि वह मुकदमे के दौरान जमानत पर थे और उन्हें पैरोल पर रिहा किया गया, लेकिन उन्होंने उसका कभी दुरुपयोग नहीं किया। चौटाला, उनके पुत्र अजय चौटाला और तीन अन्य मामले में 10 साल के कारावास की सजा काट रहे हैं। उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2015 में उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ चौटाला की अपील को खारिज कर दिया था। उच्च न्यायालय ने जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में निचली अदालत द्वारा उन्हें दोषी ठहराने और 10 साल के कारावास की सजा सुनाने के फैसले को बरकरार रखा था।