जागरण संवाददाता, गुरुग्राम : निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 134ए के तहत कमजोर तबके के
विद्यार्थियों के दाखिलों को लेकर जानकारी का खासा अभाव देखने को मिल रहा
है। ऐसे में अभिभावक खासे परेशान हो रहे हैं। अभिभावकों के मुताबिक उन्हें
किसी भी चीज की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
उधर, शिक्षा विभाग ने स्कूलों को अपने यहां सीटों की संख्या को लेकर जानकारी देने को कहा था लेकिन अंतिम तिथि 20 मार्च तक यह जानकारी स्कूलों ने नहीं भेजी। इसपर कुछ स्कूलों का आरोप है कि विभाग ने उन्हें किसी भी प्रकार की लिखित या मौखिक सूचना नहीं दी थी।
अभिभावकों को यह नहीं पता चल रहा है कि उनके बच्चों का दाखिला किस प्रक्रिया के तहत होगा। दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया के दूसरे दिन अभिभावक विभाग के कार्यालय में पहुंचे मगर इन समस्याओं की वजह से कुछ अभिभावकों को लौटना पड़ा। खंड शिक्षा अधिकारी के मुताबिक अभिभावकों को हर जानकारी साफ तौर पर मुहैया करवाई जा रही है। लेकिन कुछ अभिभावक नियमों को समझ ही नहीं पा रहे हैं।
ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर तबके) के एडमिशन को लेकर शिक्षा विभाग ने नियम तो बदला है लेकिन अभिभावक इस नियम को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और पहले नियम के अनुसार ही फार्म जमा कर रहे हैं। 20 मार्च से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। दूसरे दिन मंगलवार को काफी संख्या में अभिभावक आवेदन करने पहुंचे। इस बार वे स्टूडेंट्स उस स्कूल के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं, जहां पर वो पहले से पढ़ रहे हैं, लेकिन अभिभावक यह मानने को तैयार नहीं हैं और उसी स्कूल के लिए आवेदन कर रहे हैं। खंड शिक्षा अधिकारी इंदू बोकन ने बताया कि काफी संख्या में अभिभावक आवेदन प्रक्रिया के लिए पहुंचे रहे हैं लेकिन वे उसी स्कूल के लिए आवेदन भर रहे हैं, जहां पर उनके बच्चे से पहले से पढ़ रहे हैं। जबकि नियमों के अनुसार ऐसे विद्यार्थियों को दाखिला प्रक्रिया में जगह नहीं मिलेगी। यह आवेदन भी उन्हीं स्कूलों के लिए होगा, जहां पर क्लास के अनुसार सीटें खाली होगी। वहीं प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि विभाग की ओर से अभी तक उन्हें सीटों का ब्योरा देने के लिए कोई भी मेल या फोन नहीं आया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सभी स्कूलों को ईमेल द्वारा इस बात की जानकारी मांगी गई थी।
उधर, शिक्षा विभाग ने स्कूलों को अपने यहां सीटों की संख्या को लेकर जानकारी देने को कहा था लेकिन अंतिम तिथि 20 मार्च तक यह जानकारी स्कूलों ने नहीं भेजी। इसपर कुछ स्कूलों का आरोप है कि विभाग ने उन्हें किसी भी प्रकार की लिखित या मौखिक सूचना नहीं दी थी।
अभिभावकों को यह नहीं पता चल रहा है कि उनके बच्चों का दाखिला किस प्रक्रिया के तहत होगा। दाखिले के लिए आवेदन प्रक्रिया के दूसरे दिन अभिभावक विभाग के कार्यालय में पहुंचे मगर इन समस्याओं की वजह से कुछ अभिभावकों को लौटना पड़ा। खंड शिक्षा अधिकारी के मुताबिक अभिभावकों को हर जानकारी साफ तौर पर मुहैया करवाई जा रही है। लेकिन कुछ अभिभावक नियमों को समझ ही नहीं पा रहे हैं।
ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर तबके) के एडमिशन को लेकर शिक्षा विभाग ने नियम तो बदला है लेकिन अभिभावक इस नियम को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और पहले नियम के अनुसार ही फार्म जमा कर रहे हैं। 20 मार्च से आवेदन प्रक्रिया शुरू हो गई है। दूसरे दिन मंगलवार को काफी संख्या में अभिभावक आवेदन करने पहुंचे। इस बार वे स्टूडेंट्स उस स्कूल के लिए आवेदन नहीं कर सकते हैं, जहां पर वो पहले से पढ़ रहे हैं, लेकिन अभिभावक यह मानने को तैयार नहीं हैं और उसी स्कूल के लिए आवेदन कर रहे हैं। खंड शिक्षा अधिकारी इंदू बोकन ने बताया कि काफी संख्या में अभिभावक आवेदन प्रक्रिया के लिए पहुंचे रहे हैं लेकिन वे उसी स्कूल के लिए आवेदन भर रहे हैं, जहां पर उनके बच्चे से पहले से पढ़ रहे हैं। जबकि नियमों के अनुसार ऐसे विद्यार्थियों को दाखिला प्रक्रिया में जगह नहीं मिलेगी। यह आवेदन भी उन्हीं स्कूलों के लिए होगा, जहां पर क्लास के अनुसार सीटें खाली होगी। वहीं प्राइवेट स्कूल संचालकों का कहना है कि विभाग की ओर से अभी तक उन्हें सीटों का ब्योरा देने के लिए कोई भी मेल या फोन नहीं आया है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक सभी स्कूलों को ईमेल द्वारा इस बात की जानकारी मांगी गई थी।