जेबीटी भर्ती से जुड़े अंकों के फेरबदल मामले में सीएफएसएल ने दी रिपोर्ट
जिसमें परिणाम बनाने का दावा, सिल कंप्यूटर में वह साफ्टवेयर ही नहीं चंडीगढ़(ब्यूरो)। हरियाणा में 9455 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती पर संकट गहरा गया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल की एकल बेंच ने सरकार से पूछा है कि आखिर मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच क्यों न कराई जाए।
जांच का मुद्दा सीएफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद उठा है। सीएफएसएल ने रिपोर्ट में सरकार के कंप्यूटर प्रोग्रामर के बयान पर ही सवाल उठाया है। सीएफएसएल ने रिपोर्ट पेश कर कहा है कि प्रोग्रामर ने जिस सॉफ्टवेयर में परिणाम तैयार करने की बात कही है, वह सॉफ्टवेयर उन कंप्यूटर में नहीं है, जो जांच के लिए सीएफएसएल को सौंपे गए। इसके अलावा पहले का परिणाम डिलीट किया जा चुका है।
परिणाम से संबंधित अंकों में फेरबदल के आरोप को लेकर अधूरी जानकारी पेश करने पर बेंच ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (सीएफएसएल) के डायरेक्टर को न केवल फटकार लगाई थी, बल्कि यह भी पूछा कि सीएफएसएल यह पता लगाने में नाकाम रही है कि अंक सुधारने के बारे में दी गई जानकारी के मुताबिक विभाग के कंप्यूटरों में कोई प्रक्रिया थी भी या नहीं। बेंच ने कहा था यह जानना अत्यंत जरूरी है कि प्रोग्रामर ने हाईकोर्ट को सही जानकारी दी या नहीं।
अपने जवाब में सीएफएसएल ने यह भी कहा है कि यदि अंकों में सुधार किया गया था, तो उच्चतर शिक्षा वालों के अंक दो और बगैर उच्चतर शिक्षा वालों के शून्य अंक आने चाहिए थे, लेकिन मौजूदा परिणाम में ऐसा नहीं है। कहा है कि अंकों में भिन्नता है।
याचिका में यह थे आरोप
प्रोग्रामर के बयान पर लगाया सवालिया निशान, बेंच ने सरकार से पूछा, केस की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच क्यों न कराई जाएउल्लेखनीय है कि याचिका में आरोप था कि उच्च शिक्षा वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक नहीं दिए गए। कहा गया था कि अतिरिक्त अंकों की मांग पर जब जोड़ किया गया तो इंटरव्यू के अंकों में से उतने ही अंक काट लिए गए। जबकि प्रोग्रामर ने कहा था कि अंक देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। कहा था कि दरअसल लिखित परीक्षा के अंक गलती से इंटरव्यू के अंकों में जुड़ गए थे, लेकिन बाद में यह गलती सुधार ली गई। इसलिए मेरिट के लिए तैयार किया गया परिणाम सही है। हाईकोर्ट ने कंप्यूटर और डिस्क सील करसीएफएसएल को जांच का आदेश दिया था।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
जिसमें परिणाम बनाने का दावा, सिल कंप्यूटर में वह साफ्टवेयर ही नहीं चंडीगढ़(ब्यूरो)। हरियाणा में 9455 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती पर संकट गहरा गया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस दीपक सिब्बल की एकल बेंच ने सरकार से पूछा है कि आखिर मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच क्यों न कराई जाए।
जांच का मुद्दा सीएफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद उठा है। सीएफएसएल ने रिपोर्ट में सरकार के कंप्यूटर प्रोग्रामर के बयान पर ही सवाल उठाया है। सीएफएसएल ने रिपोर्ट पेश कर कहा है कि प्रोग्रामर ने जिस सॉफ्टवेयर में परिणाम तैयार करने की बात कही है, वह सॉफ्टवेयर उन कंप्यूटर में नहीं है, जो जांच के लिए सीएफएसएल को सौंपे गए। इसके अलावा पहले का परिणाम डिलीट किया जा चुका है।
परिणाम से संबंधित अंकों में फेरबदल के आरोप को लेकर अधूरी जानकारी पेश करने पर बेंच ने सेंट्रल फोरेंसिक साइंटिफिक लेबोरेटरी (सीएफएसएल) के डायरेक्टर को न केवल फटकार लगाई थी, बल्कि यह भी पूछा कि सीएफएसएल यह पता लगाने में नाकाम रही है कि अंक सुधारने के बारे में दी गई जानकारी के मुताबिक विभाग के कंप्यूटरों में कोई प्रक्रिया थी भी या नहीं। बेंच ने कहा था यह जानना अत्यंत जरूरी है कि प्रोग्रामर ने हाईकोर्ट को सही जानकारी दी या नहीं।
अपने जवाब में सीएफएसएल ने यह भी कहा है कि यदि अंकों में सुधार किया गया था, तो उच्चतर शिक्षा वालों के अंक दो और बगैर उच्चतर शिक्षा वालों के शून्य अंक आने चाहिए थे, लेकिन मौजूदा परिणाम में ऐसा नहीं है। कहा है कि अंकों में भिन्नता है।
याचिका में यह थे आरोप
प्रोग्रामर के बयान पर लगाया सवालिया निशान, बेंच ने सरकार से पूछा, केस की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच क्यों न कराई जाएउल्लेखनीय है कि याचिका में आरोप था कि उच्च शिक्षा वाले उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक नहीं दिए गए। कहा गया था कि अतिरिक्त अंकों की मांग पर जब जोड़ किया गया तो इंटरव्यू के अंकों में से उतने ही अंक काट लिए गए। जबकि प्रोग्रामर ने कहा था कि अंक देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई। कहा था कि दरअसल लिखित परीक्षा के अंक गलती से इंटरव्यू के अंकों में जुड़ गए थे, लेकिन बाद में यह गलती सुधार ली गई। इसलिए मेरिट के लिए तैयार किया गया परिणाम सही है। हाईकोर्ट ने कंप्यूटर और डिस्क सील करसीएफएसएल को जांच का आदेश दिया था।
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