मोहाली (नियामियां): पिछले 7 साल से सरकारी स्कूलों
में कार्यरत 244 पी.टी.आई. अध्यापकों को शिक्षा विभाग ने नौकरी से बर्खास्त
करने के नोटिस जारी कर दिए हैं। पी.टी.आई. अध्यापक यूनियन पंजाब ने विभाग
के इस कदम की कड़े निंदा कर कहा कि नोटिस जारी करने से पहले सुप्रीम कोर्ट
तथा हाईकोर्ट द्वारा ऐसे मामलों में सुनाए गए फैसलों को भी ध्यान मेें नहीं
रखा।
अध्यापकों का कहना है कि यह अध्यापक अकाली सरकार ने ही भर्ती किए थे
तथा अब खुद ही इन्हें बर्खास्त करने पर उतर आई है। पी.टी.आई. अध्यापक
यूनियन पंजाब के महासचिव हरजीत सिंह मलूका, उपाध्यक्ष राकेश कुमार पटियाला,
कोषाध्यक्ष हरजिंद्र सिंह संगरूर तथा स्टेट कमेटी के सदस्यों मनजिंदर सिंह
रोबिन, पृथीपाल सिंह, अमनदीप मानसा, विकास शर्मा, विक्रम जीत सिंह पटियाला
आदि ने बताया कि वर्ष 2007 में अकाली सरकार के समय यूनियन ने डी.पी.आई.
पंजाब के चंडीगढ़ कार्यालय के बाहर धरना दिया और मरणव्रत भी रखा था।
उन्होंने कहा कि उस समय मुख्यमंत्री के सलाहाकार और शिक्षा मंत्री डा.
दलजीत सिंह चीमा ने मरणव्रत पर बैठे बैरोजगार अध्यापकों का अनशन खत्म
करवाने के बाद उनकी मांग स्वीकारी थी। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग के
अधीन वर्ष 2008 में 244 शिक्षा सॢवस प्रोवाइडरों को पी.टी.आई. के तौर पर 5
हजार ठेका आधारित भर्ती किया। यह भर्ती मैरिट के आधार पर हुई तथा मौजूदा
अकाली सरकार ने ही 1 अप्रैल 2011 को इन 244 अध्यापकों को रैगुलर किया।
उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2006 में भर्ती किए गए 849 पी.टी.आई.
अध्यापकों से संबंधित जन हित याचिका नंबर-451/2008 को आधार बनाकर 244
पी.टी.आई. अध्यापकों की मैरिट सूची को भी बिना किसी कारण के 21 दिसंबर 2015
को रिवाइज कर दिया गया। शिक्षा विभाग द्वारा नई मैरिट सूची में उच्च
योग्यता वाले डी.पी.एड., बी.पी.एड., एम.पी.एड. को भी शामिल कर लिया तथा
पिछले 7 साल से सरकारी स्कूलों में बतौर पी.टी.आई. कार्यरत इन 244
अध्यापकों को मैरिट सूची से बाहर कर दिया।
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